हम लोग जीने के लिए भोजन करते हैं भोजन के लिए नहीं जीते हैं। अतः आहार एक साधन है, साध्य नहीं। इस दृष्टि से हमें उसी प्रकार के आहार को अपनाना चाहिए जो हमें पोषण देने के साथ-साथ अपने वातावरण में एकत्व कर सके। यद्यपि जीवनशास्त्र की दृष्टि से मनुष्य भी पशु जगत का ही एक प्राणी है। फिर भी उसमें बुद्धि और हृदयगत सुकोमल संवेदनाओं का इतना अधिक विकास हुआ है कि उसका पशु स्वभाव संयमित होता गया है। उसकी यही करुणा उसे अपने आहार के लिए दूसरे प्राणी के प्राण नहीं लेने के लिए प्रेरणा देती है। इसलिए निरामिष आहार केवल भोजन विज्ञान ही नहीं, बल्कि मानव विज्ञान और संस्कृति विज्ञान बन गया है।
शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा यह है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति पर आधारित हैं।पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनसे कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यह भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है।नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जाना उत्तम हो सकता है।
शाकाहार में पर्याप्त प्रोटीन्स होते हैं। शाकाहारी लोग स्फूर्तिमान, निरोगी एवं दीर्घायु होते हैं । जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कट्टर शाकाहारी थे । उन्होंने 94 वर्ष तक निरोग जीवन जीया। पश्चिम के प्रसिद्ध व्यक्ति जो शाकाहारी थे। प्लेटो, सुकरात , अॅरिस्टॉटल, रुसो, गोल्डस्मिथ, मिल्टन, न्यूटन, शेले, वॉल्टेअर, सीजर, वेजनेट, थोरो, टॉलस्टॉय, फिल्ड मार्शल माँटगोमरी, हैरी वीटक्राफ्ट, ब्रिगेडिअर ग्रॉफी, ट्रागी, एंथोनी क्विनीज, माल्कम, मुगेरीस, पीटर इत्यादि । इन सभी का यही कहना है कि मनुष्य शाकाहारी रहकर संपूर्ण जीवन निरोगी होकर जी सकता है ।आधुनिक विज्ञान ने शाकाहार की श्रेष्ठता निर्विवाद सिद्ध की है।
आहार सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है। जिसका व्यक्तित्व निर्माण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। आजकल शाकाहार का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है।यह परिवर्तन जागरुकता के कारण हो रहा है। जैसा आहार लिया जाता है, वैसे ही भाव-विचार और आचार होते हैं।
कनाडा के आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार “स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक है और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य के फायदे प्रदान करता है। मेडिकल साइंस व बडे़-बड़े डॉक्टर एवं आहार विज्ञानी आज यह मानते हैं कि शाकाहारी आहार में हर प्रकार के तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण आदि पायें जाते हैं। शाकाहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है। कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है। एक शाकाहारी को ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह टाइप 2, गुर्दे की बीमारी, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर जैसे मनोभ्रंश और अन्य बीमारियां कम हुआ करती हैं। शाकाहार जीवन को दीर्घायु शुद्ध, बलवान एवं स्वस्थ बनाता हैं।
अपनी रुचि और आर्थिक स्थिति के अनुसार पदार्थों का चयन कर शाकाहारी भोजन तैयार किया जा सकता है।फल सब्जियों तथा कुछ विशेष प्रकार के फाइबर अनेक रोगों को दूर करने में अचूक औषधि का काम करते हैं। सभी प्रकार के विटामिन्स तथा पौष्टिक तत्त्व शाकाहार से पूर्ण हो सकते हैं। प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं। जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। अब तय हमको करना है।
शाकाहार एक सर्वोत्तम आहार है जो मानव के अन्दर संतोष, सादगी, सदाचार, स्नेह, सहानुभूति और समरसता जैसे चारित्रिक गुणों का विकास कर सकता है। भरपूर पौष्टिक खाना शरीर को ऊर्जा देता है। शाकाहारी का मन संवेदनशील होता है। एक संतुलित सामाजिक प्रगति के लिये शाकाहार की अनिवार्यता अपरिहार्य है।
निशा नंदिनी भारतीय
तिनसुकिया, असम
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