उसे बचपन से ही वहम था। कि उसके पलंग के नीचे कोई रहता है । वह एक दिन मनोचिकित्सा के पास गया । और वह डाक्टर साहब से बोला । जब भी मै पलंग पर सोने जाता हू तो हमे ऐसा लगता है कि मेरे पलंग के नीचे कोई है हमे बहुत डर लगता है ।डाक्टर साहब कभी कभी हमे ऐसा लगता है कि हम पागल हो जायेगे । मेरी सासे फुलने लगती है। मै पसीने पसीने हो जाता हूॅ।डाक्टर साहब बोले- ठीक है मै तुम्हारा इलाज कर दुगा । तुम हफ्ते मे तीन दिन मेरे पास आना होगा ।
मै तुम्हारे वहम को दुर कर दुगा। कुछ दिन समय लगेगा।रामनरेश बोला - डाक्टर साहब आप इलाज करने के कितने पैसे लेगे।
डाक्टर साहब बोले - पाँच सौ रुपए हर हफ्ते लगेगे। रामनरेश बोला - ठीक है डाक्टर साहब अब मै पलंग पर सोना चालू करता हू। जरूरत पड़ी तो मै आप के पास जरूर आउगा।अचानक सात महीने बाद रामनरेश और डाक्टर साहब मुलाकात हुई ।
डाक्टर साहब बोले - भाई तुम आये नही अपने वहम का इलाज कराने ।रामनरेश बोला - डाक्टर साहब आप का इलाज बहुत महंगा था । हम गरीब आदमी ठहरे कहा से इलाज करा पाते मेरे पास इतना पैसा नही था ।मेरे एक दोस्त ने सौ रुपये मे मेरा इलाज करवा दिया । डाक्टर साहब बोले - क्या मै जान सकता हू कि तुम्हारे दोस्त ने सौ रुपये मे इलाज कैसे करवा दिया ।
रामनरेश बोला - हा साहब सौ रुपये मे हुआ यह की मेरे दोस्त ने पलंग के चारो पायो को किसी लोहार से कटवा लेने की सलाह दी । अब मेरे पलंग के नीचे कोई नही रहता साहब अब मै आराम से पलंग पर सो रहा हू । अब मेरे अंदर ना कोई डर है ना वहम है । यह कुछ नही था । बस मेरे मन का वहम था।सीख-हर बिमारी के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नही है । अपने दोस्त मित्रो के पास चले जाईये । उससे अपनी मन की बात दिल की बात उससे शेयर करे ये वह लोग है। कि ऐसे ऐसे उपाय बता देगे कि समस्याओ का हमेशा एक से अधिक समाधान निकल आते है।
उपेंद्र अजनबी
सेवराई गाजीपुर उ प्र
मो 7985797683
0 टिप्पणियाँ