गांव सपनों में आया
वह हरि हरी फसलें
वह सरसों के फूल
वह लहलहा फसलें
पेड़ों पर पड़े झूले
गांव सपनों में आया
वोआम और अमरुद
वो चिलचिलाती
वो लृ चलती हुई
वो सहेलियों का चिल्लाना
वो गांव सपने में आया
वो मां का चिल्लाना
वो दादी के पल्लू में दुबक जाना
वो चाची बुआ का प्यार
वो बहन भाई का लड़ना
वो सब सपने में आया
वो चूला का खाना
वो मक्का ज्वार की रोटी
वो आलू बैगन का भरता
वो बिना तेल का अचार
वो सब सब सपने में आया
वो चपेट कंचे खेलना
वो रस्सी कूदना झूला झूलना
वो पिटू खेलना कबड्डी खेलना
वो विश अमृत छुपा छुपउअल
वो सब सपने में आए
वो छोटी सी मां की मडिया
वो छोटी सी भैरव जी की मूर्ति
वो पीपल का पेड़
वो तो दिल दिमाग पर छाए हैं
पर वह आज सपने में आए हैं
पर वह आज सपने में आए हैं
रागिनी मिश्रा विदिशा
मध्य प्रदेश
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