गुरूज्ञान-रेखा

गुरु  गीता के  ज्ञान में है 
गुरु वेदों की वाणी में है।
गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु मिलता हमको सब में है।।


गुरु अंबर में गुरु सागर में
गुरु ब्रह्मा में गुरु विष्णु में
गुरु शिवा के नीलकंठ में
गुरु माटी के कणकण में है।


गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु मिलता हमको सब में है।


गुरु की महिमा का गुणगान 
करूं मैं कैसे हूं अनजान
गुरु कल कल करते झरनों में 
गुरु मिलता शबनम  बूंदों में है


गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु मिलता हमको सब में है।



गुरु दिखता अडिग पहाड़ों में 
इन बदले मौसम के नजारो में
गुरु धरा की सांस सांस में 
ऋतुओं की हर बनठन में है 


गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु मिलता हमको सब में है  
गुरु छम छम करती बारिश में
 देखा हमने तन मन में है।।
 
गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु मिलता हमको सब में है।


इतिहास के पन्नों के लेखन में 
गुरु वीरों के उद्बोधन में है
गुरु जीवन के हर रंग में 
दिखता हमको जन-जन में है ।


गुरु माता में गुरु पिता में 
गुरु दिखता हमसे सब में है।


 


रेखा दुबे विदिशा मध्‍यप्रदेश



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