आनलाइन क्लास-किरण बाला


ऑनलाइन क्लास क्या शुरू हुई , गरीबदास के पसीने छूट गए । घर में ले दे कर एक स्मार्टफोन जो कभी किश्तों में खरीदा था , उसी पर खींचातानी शुरू हो गई।कभी बड़ी शान से जेब में डाले घूमा करता था , मजाल है कोई हाथ तो लगा जाए । बच्चे सिर्फ़ टुकुर - टुकुर उसे निहार कर ही खुद को तसल्ली दे लेते थे । अब तो फोन कभी इसके हाथ तो कभी उसके हाथ फिरकी के समान घूमता रहता है । क्या करें, मज़बूरी जो है । फोन के लिए घर में महाभारत छिड़ जाना तो आम बात हो गईं है । पहले सौ रुपए के रिचार्ज में महीने भर का काम चल जाता था अब वही खर्च चार गुना बढ़ गया है ।
एक दिन तो हद ही हो गई, आनलाइन टेस्ट रात को भेजा गया। अब बेचारे गरीब दास क्या करें , उनकी ड्यूटी रात की शिफ्ट में थी जिसकी वजह से बेटी चारू का पेपर  छूट गया । अब भला स्कूल वालों को कौन समझाए कि भाई , कम से कम समय तो देख लिया करो । रात में आठ  बजे  से नौ बजे के समय में भला कौन टेस्ट भेजता है? अरे भाई ! खाना बनाने खाने के समय में कौन पेपर देगा ? पूरा दिन कभी किसी की क्लास तो कभी किसी की । बेचारा फोन भी क्या सोचता होगा , क्या किस्मत पाई है ! कभी कभार हमें भी तो चैन की सांस लेने दो भाई । सुनो जी , कल बाजार जाओ तो बच्चों का ये सामान लेते आना , अलग - अलग विषयों के प्रोजेक्ट मिले हैं , कहते हुए पत्नी ने एक लम्बी सी सूची उनके हाथ में थमा दी । लो हो गया कंगाली में  आटा गीला ...(मन ही मन गरीबदास बड़बड़ाए )। राशन पहले लाएं कि ये सामान ।अरे भाई ! जब सभी को ऐसे ही पास किया जा रहा है तो ये सब ताम - झाम क्यों भला ? एक अधपकी सी खिचड़ी उनके दिमाग में पक रही थी । 
अब कल की ही बात सुनो , छोटे बबुआ की आँख से पानी निकल रहा था , सबने सोचा कि हिंदी के मास्टर जी कोई  करुण कथा सुना रहे होंगे ।  वो तो बाद में पता चला कि उसकी ऑंखों  पर  मोबाईल महाशय जी ने अपने तेज का प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है । लो जी अब लगाओ डॉक्टर के चक्कर । अब गरीबदास भी रोज - रोज के चक्करों से परेशान हो चुके थे । बच्चे भी  दिनभर की क्लास से उकता चुके थे ।  क्लास चलती रहती और कैमरा बंद करके   बैठे - बैठे ऊंघते रहते । 
हर दूसरे तीसरे दिन सभी अध्यापकों का बारी - बारी से फोन आता कि समय पर काम हो रहा है या नहीं । कुछ दिन तो सुना बाद में सुनना ही छोड़ दिया , अब कर लो कोई क्या कर लेगा ? एक दिन में इतना काम ... (गरीबदास मानो अब फैसला कर चुके थे ) दो चार दिनों बाद जब दोबारा मास्टर जी का फोन आया तो उन्होंने अपने मन का गुबार निकाल ही दिया । कहने लगे मास्टर जी , "सीधी सी बात है , ऑनलाइन काम देना है तो पहले हमारे फोन में रिचार्ज करवाओ , या तो खुद करो या सरकार से करवाओ। एक फोन हमारे घर भिजवा दो और हाँ , एक जरूरी बात ...एक हजार रूपए डॉक्टर की फीस और दवाई के भी भिजवा देना । छोटे बबुआ के लिए नजर का चश्मा भी बनवाना है । पहले ये सब भेज दो । काम हुआ कि नहीं , ये बाद में पूछना ...
जय राम जी की ।(कहकर फोन काट दिया )
अब गरीबदास जी खुद को हल्का महसूस कर रहे थे मानो मन भर बोझ कम हो गया हो । 


        ----किरण बाला , चंडीगढ़


 



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