चांदनी रात में
चांदनी रात में , झुरमुठ के साये में !
हम दोनो तारों के संग बतियाते थे !!
हल्का हल्का श्यामल उजाला मन को लुभाता था !
अल्फ़ाज़ लबों पर आकर ठहर जाते थे !!
आंखो आंखो से बात होती थी चांदनी रात में !
शर्माती थी नजरे , पलके उठती गिरती थी !
पसरी थी रात सुहानी चांदनी बिखरी थीं !!
पवन का झोंका ले आई महक रजनीगंधा की !
हरि घास पर मोती सी चमक रही ओंस बूंदे !!
आई मिलन की घडी चांदनी रात में!!
गूंज रही बागो में भवरों की किलकारियां !
झूम रही है पेडो पर फूलो की डालियां !!
चांदनी रात में फैली भोर कीउजालियां !
चलो उठो चलते है घर देगी बहुत मां गालियां !!
खिला खिला है चांद , ढल रही है रात !!
चांदनी रात का नशा यू छाया जैसे बज रही शहनाईयां !!
चांदनी रात में , तारों की बारात में !
चांदनी रात में
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
आप का इस बेवसाइट पर स्वागत है। साहित्य सरोज पेज को फालो करें( https://www.facebook.com/sarojsahitya.page/
चैनल को सस्क्राइब कर हमारा सहयोग करें https://www.youtube.com/channe /UCE60c5a0FTPbIY1SseRpnsA
0 टिप्पणियाँ