हे गुरुवर-संध्‍या

 


हे गुरुवर कृपा निधान प्रभु
कृपा अपनी बरसा देना।
सत्य मार्ग ले जाकर प्रभु 
जीवन को धन्य बना देना🙏


मैं दीन हीन और पापी हूं
मैं अधम नीच आत ताई ।
यदि कृपा गुरु की हो जाए
प्रभु सेवक हमें बना लेना।



तन मानव देकर हे गुरुवर
उपकार किया प्रभु ने हम पर
अब सत्य मार्ग ले जाकर तुम
जीवन को धन्य बना देना।


 


प्रभु धन तन चाहे मत देना
मन को उज्जवल तुम कर देना
दो ज्ञान अमृत की बूंद पिला
मन से जग को महका देना।



मन मेरा शुष्क मरूभूमि
मन है कठोर पत्थर जैसा
प्रभु दया के फूल खिला कर तुम
पत्थर से मोम बना देना।


प्रभु मन काला कलुषित लोभी
अज्ञान में डूबा युग युग से
अज्ञान की परत हटा करके
दर्पण सा उजला कर देना।


प्रभु छठ जाए सारे राग द्वेष
मिट जाए मन का अंधकार
छा जाए खुशियां जीवन में
ज्ञान का ऐसा दीप जला
गुरुवर भवसागर पार लगा देना।



संध्या तिवारी
विदिशा मध्य प्रदेश


 



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