जवां पे ठहरे हुए जज़्बात,पंख लगाकर उड़ती प्यार भरी कल्पनाएं , मदमाता सावन और ऐसे में साथी का स्नेहिल, स्पर्शभरा साथ जब हम अपने प्यार से रूबरू होते हैं तो सारी कायनात ही बदल जाती हैं। हां , राज़ ज़िन्दगी के इस मोड़ पर तुम मुझे बहुत याद आ रहे हो ।ऐसा लगता है कि कल ही की बात हो कि तुम मुझसे बिछड़ गए थे फिर भी कुछ सांसे रह गईं थीं तो किसी ने उसमे अपना प्यार डालकर मुझे नया जीवन दिया था ।पर आज न तो वो शख्स रहा न उसका प्यार।आज ज़िंदगी वीरान होकर रह गई है। हां राज़ ,तुमसे दूर होकर हम शायद जी ही न पाते अगर वो मेरी ज़िंदगी में न आते।ये सच है कि उन्हें पाने के बाद मैंने कभी मुड़कर नहीं देखा और न ही कभी तुम्हे याद किया ।राज़ आज तुम्हारी बिल्कुल अकेली हो गई है ।सब कुछ खत्म सा हुआ लगता है। ज़िंदगी ठहर सी गई है।ऐसा लगता है खुशियां मुझसे रूठ गई है।आज फिर वो पल याद आ रहे हैं राज़ जब मैंने बाहें पसार कर तुम्हें आवाज़ दी थी,पर शायद तुम सुन न सके।ज़िंदगी तो एक छलावा है राज़ ,फिर भी इसमें तुम्हारे प्यार की ख़ुमारी थी ।कभी तुम्हारे साथ जीने मरने की कसमें खाई थीं। याद है तुम्हें बारिश की वो शाम जब मैं तुम्हारे साथ थी तो तुमने क्या कहा था,शायद तुम्हें कुछ भी याद नहीं और मै कुछ भूली नहीं।कैसी विडम्बना है कि जिसे चाहा वही दूर चला गया ।
आज हम आपको याद भी करते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी के साथ बेवफाई कर रहे हैं।पर कैसे कहें आपसे कि हम शायद आपको कभी भूले ही नहीं ।आज भी जब हम सोते हैं तो आप ही सपने में आते हैं जागते हैं तो भी आपकी ही तस्वीर हमारी आँखों में रहती है या खुदा ,मुझे माफ़ करना मैंने कभी नहीं चाहा था कि मैं पतिता कहलाऊं और उनके प्यार को रुसवा करूं पर ज़िंदगी के इस मोड़ पर आज मुझे यकीन हो गया है कि उन्होंने कभी मुझे दिल से चाहा ही नहीं।शायद आज से कुछ साल पहले मै आकर्षक थी आज नहीं रही ।मेरे पति सिर्फ मेरे शारीरिक आकर्षण मात्र में ही बंधे रहे वो हमारे दिल की गहराई में उतर ही नहीं पाए पर राज़ मैंने तो तुम्हे दिल की गहराइयों से चाहा था पर क्यूं नहीं हम मिल पाए ।कहने को तो बहुत कुछ है मेरे पास पर ऐसा लगता है कि कुछ भी नहीं है।
ऐसा क्यूं होता है राज़ कितने बदनसीब थे हम जो जुदा हो गए ।मानो य न मानो अगर मैं तुम्हारे लिए तड़पी हूं तो तुम भी रातों को जागे हो । तुममें कभी साहस ही नहीं हुआ कि आगे बढ़कर मुझे अपना लेते ।शायद मेरे प्यार में ही कोई कमी होगी ।
उदासियों से भरे इस दिल में सिर्फ तुम्हारी याद है।आज आंखें छलक-छलक पड़ती है जब तुम याद आते हो।किसी ने सच ही कहा है कि पहला प्यार कभी नहीं भूलता।आज तुम बहुत याद आ रहे हो।मुझे कोई तो रोक लो ,कोई थाम लो वरना ज़माना कहेगा कि मै बेवफ़ा हूं । मै गुनहगार हूं उनकी।
आज तक मैं उन्हें अपनी श्रृद्धा और विश्वास के फूलों से महकाती रही पर आज मैं टूट कर चूर-चूर हो गई हूं क्यूंकि हमारे जो ख़्वाब चकनाचूर हुए तो उनकी किरचें समेटने में हम लहुलुहान हो गए राज़। किससे कहूं अपना दर्द ? कैसे कहूं कि उनके लिए मैने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।पूर्ण समर्पित थी मैं तन, मन ,धन सब उनका ही तो था राज़।पर ऐसा क्या हुआ आज मै बहक रही हूं तुम्हारी यादों के जाल से निकल ही नहीं पा रही हूं आज दिल बार-बार कहता है।बांधे हुए इसे सीमा में तट तो केवल मर्यादा है जल तो एक भरा नदियां में पीने में कैसी बाधा है?
रेनू अग्रवाल
आशियाना, लखनऊ
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