पलायन - अलका


आज दसवाँ दिन था किरण के कारख़ाने को बंद हुऐ , लाकडाऊन के कारण कारख़ाने के कारीगर भी बहुत परेशान थे।किरण ने सबको बहुत समझाया , बहार कोई व्यवस्था नहीं है , तुम लोगों को यही रहना है तभी कोरोना से बच पाओगें गाँव जाओगें भी कैसे कोई साधन नहीं तुम लोग ज़ब तक यहाँ रहोगे मेरी जवाब दारी है तुम्हारी देखभाल करने की , खाना वग़ैरा देने की एक बार बहार गये मेरी कोई जवाबदारी नहीं मेरी बात समझ लेना मैं फिर न अंदर कारखाने में लूगी न काम आगे दूगी , सोच लेना मेरी बात समझ में आई.....पर कोई मज़दूर सुन नहीं रहा था दो घंटे से किरण मिटींग कर सबको समझा रही थी , लेक्चर लेकर सबको सेनेटाईज मास्क देकर सारे निर्देश अच्छे से समझा कर बस घर आकर बैठी ही थी कि कारख़ाने से फ़ोन आता है , सोनू ..मेडम छ: लोग भाग गये ..सोनू जो पलायन कर गये उन्हें जाने दो पर तुम लोग बहार, मत जाना और वो लोग आये तो अब वापस नहीं लेना क्योंकि तुम्हें भी बिमार पड़ने का ख़तरा हो सकता है , “सोनू ठीक है मेमसाहेब , “फिर किरण ने नौकरानी को आवाज़ दी बेटा चाय पिला कितना समझा कर आई , थी पर सुनते ही नहीं कुछ हो जायेगा तो लोग मुझे ही बुरा भला कहेंगे , पर इनको भागने की पड़ी है ट्रेक में लद  लद कर जा रहे समाजिक दूरी की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी , कौन समझाये सब को घर जाना है कोई सुन नहीं रहा है मन ही किरण बात कर रही थी , उसके बस में कुछ नहीं था । पर वह है की परेशान हो रही थी उसे लग रहा था की यदि ये लोग सही सलामत घर नहीं पहुँचे रास्ते में ही कुछ गड़बड़ हो गई तो क्या होगा बेचारे ग़रीब है क्या करेंगे मैं समझा रही हूँ पूरी देखभाल करने को तैयार हूँ पर ये समझ ही नहीं रहे , इन को तो सिर्फ़ अब अपना गाँव ही दिखाई दे रहा है मैं कुछ नहीं कर सकती!नौकरानी ने मेडम की चिंता भाप ली और बोली मेडम चाय पिओ उनकी मत सोचो तकलीफ़ उठाने दो अभी नहीं समझेंगे , आप समझाएंगी तो वो और उल्टा मतलब निकालेंगे कि आपको उनकी ज़रूरत है इसलिए आप मना कर रही हो आप शांत रहें जो जैसा करेगा वैसा भरेगा आप चाय पीओ ..किरण हाँ तुम ठीक कह रही हो ..चाय का पहला घुट पिया ही था की फ़ोन बज उठा “नौकरानी ने उठाया फ़ोन “ और बोली “मेडम आप से बात करनी है , “किरण ने फ़ोन लेकर कहाँ अब क्या हुआ ....मेडम मैं सोनू बोल रहा हूँ बाक़ी लोग भी भाग गये बहूत समझाया पर कोई मानने को तैयार नहीं था सब यही कह रहे थे हमें अब यहाँ नहीं रहना है सिर्फ़ अपने गाँव जाकर ही दम लेना है . अब हम चार ही बचे हैं हमें डर लग रहा यहाँ अकेले ये लोग भी चलें जायेगे तो मैं नहीं रह पाऊँगा , डरो मत यदि सब पलायन कर गये तो तुम चाहोगे तो मैं तुम्हें घर
में , लेआऊगी  यहाँ रहना घर का काम करना पगार मिलेगी , ठीक है मेडम तो अभी आकर ले लो मुझे मैं आपके घर पर रहूँगा सब काम करुगा , उन लोगों से बात कराओ सोनू ने कहाँ मेडम आप लोगों से बात करना चाहती , एक मज़दूर ने फ़ोन उठाया मेडम बात यह है की एक ट्रक की व्यवस्था हो गई है हमारे गाँव के सब लोग जा रहे है , तो हम तो अब रुकेंगे नहीं यहाँ मरने से अच्छा है अपने गाँव में मरे माँ बाप बीबी बच्चों के साथ तो रह लेंगे , जब सब ठीक हो जायेगा आप बुलायेगी तो आ जायेगे , नहीं तो वही रहेगा पेट के लिये गाँव से पलायन कर यहाँ आये , थे अब अपने बच्चों के लिये यहाँ से पलायन कर रहे हैं आप अब हमें उपदेश मत देना , हम कुछ सुनने के मूड में नहीं है , सब लोग चले गये है हम चार ही बचे हैं सोनू को समझाया हमारे साथ चल पर वो कहता है मैं मेडम की बात मानूँगा वो सही कह रही है तो आप इसका ख़्याल रखना , जयराम जी की , और सोनू को फ़ोन दे दिया , सोनू “ मेडम “ ये लोग कपडे बांध कर अभी निकल रहे है मैं कहाँ जाऊँ . कहीं नहीं मैं आ रही हूँ । 
किरण ने चाय वैसे ही छोड़ी व कारख़ाने जाने के लिये गाड़ी निकाली , वो तो अच्छा है जो कारख़ाना घर के पास ही है वर्ना .. कारख़ाना जा जाकर ही वह परेशान हो गयी होती रास्ते में पुलिस अलग परेशान करती पास होने का एक फ़ायदा है कि मैं तुरंत ऑफीस पहुँच जाती हूँकिरण कारख़ाने पंहूची तो सब कारीगर पलायन कर चुके थे सिर्फ सोनू रोते हुऐ बैठा था , सोनू के माँ बाप नहीं थे सौतली। माँ बहुत मारती थी इसलिये वो जाना नहीं चाहता था ! नहीं तो वह भी पलायन कर गया होता ख़ैर किरण ने दिमाक को छटका और सोनू को बोली चलो कपडे ले लो और कारख़ाने को अच्छे से बंद करो और यह बता घर जाकर तो भागने की नहीं सोचेगा , मैं तुझे घर लेके जाऊँ और तू ,कुछ दिन में रोने लगे कि मुझे भी घर जाना है तो मैं तुझे नहीं भेज पाऊंगी इस हाल में अभी सोच लें ध्यान से समझ के की तुझे क्या करना है मुझे भी इन लोगों की तरह यहाँ से पलायन करना है की मेरे घर सुरक्षित और अच्छे से रहना है , नहीं तो अभी जा .....नहीं मालकिन मैंने सुबह न्युज देखी थी , बहार बहुत बुरा हाल है अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा आपके पास रहूँगा , मुझे बेमौत नहीं मरना है ,किरण ने आकाश की तरफ़ देख लम्बी सांस ले बोली शुक्र है सुबह की बातों का किसी को तो असर हुआ , मैंने एक की सुरक्षा तो कर ली सुकुन तो रहेगा ..मैंने एक ंइंसान को पलायन करने रोका ही नहीं उसका जीवन भी बचाया !


डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई


 



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