राम खोजने मैं निकला-ओम प्रकाश

राम खोजने ... मै जो निकला,
सुबह से हो गई शाम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


घर आया फिर ... थकहारा मै
करने को विश्राम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


घर भीतर आते सम्मुख पितु,
माता देखी वाम
अहा... रे, पाये .... सीताराम


कई दिवस चिंता मे बीते
बिगड़ रहे थे काम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


छवि, ज्येष्ठ भ्राता की... मन मे
मुख पर.. आया नाम
लगा तब सम्मुख हैं श्रीराम


रिश्ते - नाते भी जग मे अब
लगा रहे हैं दाम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


मित्र मिले जो गले
भावना होती है निष्काम
लगे ज्यों ... गले मिले श्रीराम


प्रौढ़ अवस्था आने को है
समय गया नाकाम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


लायक यदि संतान हुई तो
मिले ऐश्वर्य तमाम
पुत्र की छवि मे दिखते राम


एक बार जग से विरक्त हो
भटका तीरथ - धाम
मिले न .. मुझको...  हाय रे राम


सतगुरु चरणो के प्रसाद से
सुधरे आठो याम
दिखें मुझे उनमे ही श्रीराम


जपूँ निश्वासर सीता राम
मेरे तो रोम - रोम मे राम
जगत के कण - कण मे श्रीराम
धरा, दिग, सिंधु - व्योम मे राम


---- ओम प्रकाश शुक्ल



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