आज कल सम्मान के सौदागर बहुत है इनकी संख्या बहुत है सम्मान के सौदागर ख़रीदने और बेचने वाले दोनो है । एक सम्मान की क़ीमत ५००रु से लेकर कई हज़ारों में बिकते हैं सम्मान बेचने बाले सौदागर है तो ख़रीदने वालों की कमी नहीं है दोनों प्रकार के सौदागरों से बाज़ार भरा पड़ा है । पहले जहां सम्मान की एक गरिमा होती थी ! आज कल तो स्वत: सम्मान होता है और दूसरा डर या खौफ के कारण दिया जाने वाला सम्मान होता है। नहीं देंगे तो वह डरायेगा बंदनाम करेगा काम नहीं करने देगा तो भाई आओ और सम्मान पाओ आप भी ख़ुश हम भी ख़ुश ! हमें हमारे आसपास दोनों ही प्रकार के व्यक्ति आसानी से मिल जाएँगे। बस ज़रा सी नज़र दौड़ाए , टप टप टपक पडेगें । जो सम्मान के लायक़ है उसका सम्मान तो होता ही है ऐसे लोगों का सम्मान इसलिए करते हैं कि वह हमारे सम्मान के लायक होते हैं। उनमें वह प्रतिभा और काबिलियत होती है कि वे जहाँ भी रहते हैं, सबको अपना बना लेते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति सम्मान के सौदागर नहीं होते हैं बल्कि उनके लिए सम्मान नाम का तमगा कोई विशेष अहमियत नहीं रखता है।
और कुछ होते हैं जिन्हें हर हाल में सम्मान पाना होता है इस प्रकार के व्यक्ति वे होते हैं, जिन्हें सम्मान से बहुत लगाव होता है। उनका खौफ ही उतना होता है कि लोग उनके डर से या अपनी नौकरी बचाने के भय से उनका सम्मान करते हैं। ऐसा सम्मान कभी दिल से किया गया सम्मान नहीं होता है। इसे तिकड़मी सम्मान कहते हैं, जिसका सीधा अर्थ है- दूसरों के मुख से स्वयं को सर्वश्रेष्ठ कहलाना। वह सम्मान का जुगाड़ ऐन केन प्रकारेण करना ये अपने मन तो ख़ुश होते है की हमने सम्मान पाया पर उन्हें नहीं पता की मै ने लोगों का झूठा सम्मान तो पा लिया हैं परंतु लोगों के दिलों में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं। यही कारण है कि ऐसे लोग अपने अधीनस्थों में कानाफूसी का विषय बनते हैं। और लोग दिल से उनकी इज़्ज़त नहीं करते , मुहं देखी बात होती है . और वह झूठी प्रशंसा में जीते है ! और तो और हमारे हीरो हमारे राजनेता जनता को मूर्ख बनाने के लिए यही तो करते हैं। अपने गिने-चुने कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर जनता को मूर्ख बनाना और उनसे झूठा सम्मान पाना, यही उनकी फितरत होती है यह तिकड़मबाजी सम्मान कहलाता है यह छल का ही एक प्रकार है। जो आँखों में धूल झोंककर जनता से पाते है । बुजुर्गों की कहावत है की काम बोलता है , कहना यह दिखाना नहीं पड़ता , जिंदगी के अनुभवों के अलावा शिष्टाचार, विनम्रता और आपकी उत्कृष्ट कार्यशैली आपको लोगों के सम्मान के काबिल बनाती है। हमेशा ऐसा बनो कि लोग आपकी हमेशा दिल से तारीफ करें। यह बात यदि सबने मन से अपना ली तो हमें सम्मान माँगना नहीं पड़ेगा लोग आदर के साथ आपका सम्मान करेंगे
बड़ों की बातों में सच्चाई व जीवन का दर्श छिपा है वो कहते है , कभी ऐसे मत बनो कि आपकी बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ व उनके साथ आपका अहंकार ही आपकी पहचान बने बल्कि सदा ऐसे बनो कि आपके ज्ञान के साथ आपका विनम्र व्यवहार भी आपकी पहचान बने। आपके मुख से निकले दो मीठे बोल ही किसी को अपना बनाने के लिए काफी हैं।आप काम से लगन से सम्मान पाने के हक़दार बनों सौदागर नही , सौदागर कभी सम्मानित नहीं हो सकता है , सम्मान पाना व सम्मानित होना यह अलग अलग व बहुत अंतर है अंत में मैं कहूगी सम्मान के सौदागर मत बनिए मेहनत और लगन से निःस्वार्थ सेवा करे ...उसके बाद जो सम्मान मिलेगा वह आप को आपकी नज़रों में परिवार की नज़रों में समाज की नज़रों में इज़्ज़त मान प्रतिष्ठा प्यार दे जायेगा . जो ज़िंदगी भर आपको ख़ुशी देगा !
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
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