सम्मान यानी सम् +मान, एक समान मान मिले। में किसी से अच्छा व्यवहार करती हूँ तो आशा रखुंगी कि सामने वाला भी मुझसे अच्छा व्यवहार करे।सोदा चीज़ो का होता है,जहाँ सम्मान का सोदा होता है वहाँ भ्रष्टाचार, भेदभाव, आदि जैसी बेकार स्थिति पैदा होने लगती है।
मेरे मित्र की लिखी एक रचना सम्पादक जी को बहुत पसंद आई, सम्पादक ने उसे प्रकाशित करने का निर्णय लिया, पर शर्त ये रखी गई कि 1000/- रुपये उन सम्पादक के अकाउंट में डाले जाए। अगर वह रचना इतनी अच्छी है, तारीफ के काबिल है, प्रेरणादायक है तो उन्हें बिना पैसे लिए उस संदेशवाहक रचना को प्रकाशित करना चाहिए। इससे उनका भी सम्मान होगा, मान बढ़ेगा, नाम होगा न सोचा हो ऐसा हो जाए। हजारो रुपये देकर मे आधा पेपर खरीदलू पूरे पेपर मे मेरी ही रचनाएं हो, ऐसा हो सकता है। पर वो रचनाएं मुझे सम्मान न दिला सके, किसी को समझ ना आए, पढ़कर लोग ये कहे ये क्या है, तो ऐसा सम्मान मुझे नहीं चाहिए। रचना तभी प्रकाशित हो जब उसमें कुछ समझने योग्य हो, लोग कुछ सीख सके। सबूत के लिए प्रमाण पत्र काफी है। जिस दिन मुझे ये खबर मिलेगी कि मेरी लिखी रचना से कुछ बदलाव आया, वो पल मेरे लिए बहुत खुशी का पल होगा। सम्मान के सौदागरो की शुरूआत घर से ही होती है, जहाँ पती पत्नी मे से पती को अधिक सम्मान दिया जाता है। क्यों, कारण कि वह कमाते है। पैसा ,पैसे ने सम्मान खरीद लिया ।शिक्षा शुरु से ही यही मिली है। नीव मजबूत हो चुकी है। नीव को बदलना अति आवश्यक है। नहीं तो ये ''सम्मान के सौदागर'' रुपी वायरस पूरी दुनिया को खोखला कर देंगे।
औरते भी सम्मान पाने की होड़ में बाहर निकल रही है। प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ रही है कि एक पल के लिए बच्चो के लिए समय नही है।बच्चे क्या कर रहे है क्या सीख रहे है, कुछ पता नहीं, कही गलत दिशा में तो नहीं जा रहे। सम्मान की वजह से जीवन जीने की परिभाषा भी बदल रही है।पैसे देकर डिग्री हासिल कर रहे है। डाक्टर बन रहे है, आदि हमारे देश को खोखला कर रहे है। लालच के कारण भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। लोग सम्मान खरीद और बेच रहे है। प्रतिभावान और होनहार कहीं दब से रहे है। जब नीव ही मजबूत नहीं होगी, तो मकान कैसा होगा। सर्वप्रथम परिवार से इसे हटाना होगा, फिर हर क्षेत्र में बढ़ रहे " सम्मान के सौदागरो" को समाज से बहिष्कृत करना होगा।
जैसा आज ये निर्णय लिया जा रहा है कि चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे वैसे ही हमे सम्मान के सौदागरो का बहिष्कार करना होगा। आओ आज ये प्रयास करे कि, सभी को बराबर सम्मान मिले, हक मिले। किसान जिसके कारण हमे भोजन मिलता है, सफाई कर्मचारियों को, गटर साफ करने वाले, अच्छा ज्ञान देने वाले को, सभी को बराबर का सम्मान मिले।अगर ये सब ना होते तो सोचो देश कि स्थिति क्या होती ,हमी खेती करते और खाते हमारे गटर भी हम ही साफ करते, तो क्या हमारी नजरो से गिर जाते, नहीं तो इनका सम्मान क्यो नहीं .........
ममता बारोट
गुजरात, गांधीनगर
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