बी एस एन एल कम्पनीय सरकारी कम्पनी पर जनता का विश्वास अटूट होता पर जब कम्पनियाँ समय के साथ नहीं चलती तो डूब जाती है।बीएसएनएल की कहानी भी कुछ कुछ ऐसी ही है ये कम्पनी 4 g के टाइम 3 g + डाटा दे रही है इस कारण लोगो का इस कंपनी से लगाव कम होता जा रहा है। आज का युवा नई तकनीक के पास भागता है यदि ये कंपनी 4 g के टाइम 3 g को महत्व देगी तो इसे डूबने से कोई नहीं बचा सकता।कम्पनी को समय की माँग को देखते हुए चलना होगा! दूसरा सरकारी कर्मचारी निखच्टू हो जाते है !
उन्हें देश समाज का विचार नही रहता नौकरी जाने का ख़तरा नही आराम व चकल्लस बाज़ी की आदत पड़ जाती है !आज “जीओ “ने लोगों की नस पकड़ रखी है वह धीरे धीरे मारना जानता है पहले मुफ़्त कर सबको अपने पास बुलाओ फिर कुछ काटो और फिर धीरे धीरे हलाल करते रहो आदमी हलाल होता रहेगा फिर उसकी लत लगजायेगी !और कुछ बुद्धिजीवो पूछ रहे है की बीएसएनएल क्यों डूबी....?डूबाने वाले हम और आप है । बीएसएनएल को डूबने का जिसे अफ़सोस है वो जिओ की जगह बीएसएनएल की सिम लेकर बीएसएनएल को सपोर्ट करे।पर नही सपोर्ट की बात नहीं सिर्फ़ गालीयाँ देंगे .जीओ “आया ही इस लिए की बीएसएनएल ख़रीद ले !
सरकारी कम्पनीयों को बेचने का मतलब सरकार खोखली है , जब सरकारी कम्पनी बिकती है तब देश की दुर्दशा का चित्र सामने आता है । बहुत गम्भीर स्थिति है देश की मज़ाक़ की बात नहीं है , मिडीया सब बिकी है कोई सही चित्र नहीं दिखाई रहा हम किस सरकार को अच्छा माने किसे बुरा हर जगह हर सरकार का बुरा हाल है !बीएसएनएल ही नहीं लगभग सभी सरकारी संस्थान व उपक्रम गलत सरकारी नीतियों व भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं। भारत के अधिकांश संस्थान व उनके टॉप बॉस का अपॉइंटमेंट योग्यता के बल पर न होकर , राजनीतिक व अन्य प्रभाव के अन्तर्गत होता है जहां योग्यता सबसे अंत में आवश्यक होती है।यह बात कम ज्यादा सभी राजनीतिक दलों द्वारा शासित सरकारों में व्याप्त है।जब बॉस ही अक्षम हो तो उनसे अच्छे नेतृत्व की उम्मीद करना बेमानी है।उनको तो अपने राजनीतिक गुरु को हर हालत में खुश रखना होगा।अधिकांश डिपार्टमेंटल मंत्री अक्षम हैं।दूसरे जिम्मेदार सरकारी अधिकारी कोई बोल्ड डिसीजन नहीं लेना चाहते क्यों कि कब उनको फंसा दिया जाए या हटा दिया जायेगा का डर , पद कोई छोड़ना नहीं चाहते !
भारत सरकार बीएसएनएल को बंद नहीं करना चाहती है। परन्तु बीएसएनएल भारत सरकार के लिए एक सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है। बीएसएनएल में बहुत ज्यादा कर्मचारी है और उसके हिसाब से बीएसएनएल को कमाई नहीं है। बीएसएनएल की कमाई से बहुत ज्यादा पैसा सिर्फ कर्मचारीओ के वेतन में ही खर्च होता है।अभी कर्मचारियों की छटनी हो रही है आगे आगे देखें क्या होता है !मेरा मानना है की हमें सरकारी चीजों का उपयोग कर देश को मज़बूत बनाना चाहिएऔर सरकार को भी समय के अनुसार चलना चाहिए,नई तकनीकी को लाते रहना है !आज का युवा तो बुढे माँ बाप को नापंसद कर रहा है तो चीजों की क्या बात करे ... ?बीएसएनएल डूबने का कारण तकनीक की ख़राबी नेट का प्राब्लम और बहुत सी तकनीकी गड़बड़ी का कारण रहा है ।यही कारण है उसके बिकने का और दूसरा रिलायंस उस पर क़ब्ज़ा करना चाहती है !
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अलका पाडेंय (अगनिशिखा मंच)
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर १
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मो.न.९९२०८९९२१४
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