आखिर क्यों डूबी बीएसएनएल ? मनोज सिंह सिकरवार


भारत संचार निगम लिमिटेड यानि की बीएसएनएल क्या आपको पता है कि यह अभी १०० करोड़ से भी अधिक के घाटे में चल रही है। यह कोई छोटी मोटी धनराशि नहीं बल्कि इतनी है कि आपका को कल्पना करना भी मुश्किल होगा। बीएसएनएल कि शुरुआत १५ सितम्बर सन २००० में हुई थ।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि २००० से लेकर २००९ तक बीएसएनएल एक प्रॉफिटेबल कंपनी थी। पर ऐसा क्या हो गया १० सालो में एक प्रॉफिटेबल कंपनी से यह इतनी अधिक कर्जे में आ गयी। 


              हमें याद है कि बचपन में हम लोग अपने संवाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए पोस्ट ऑफिस के पोस्ट कार्ड या अंतर्देशीय पात्र का प्रयोग करते थे। लेकिन BSNL का टेलीफोन आ जाने के कारण पोस्ट कार्ड या अंतर्देशीय पत्र धीरे धीरे लुप्तप्राय हो गया। आरम्भ के दिनों में बीएसएनएल ने इससे काफी कमाई भी अर्जित की। लेकिन इस दौरान बीएसएनएल शायद भूल गया कि उसका भी स्थान लेने वाला कोई आ सकता है। यह सब कैसे हुआ इसका अध्ययन आईये कुछ बिन्दुओ के माध्यम से करते है। 


भारत में मोबाइल क्रांति - २००५ में भारत में जब मोबाइल क्रांति आयी तब सबके हाथ में पोर्टेबल डब्बे वाला फ़ोन आ गया यानि अब ये तार वाले फोन का झंझट ख़तम। इस फोन से लोगो को काफी मदद हो गयी। इस फोन को हम साथ में लेकर चल भी सकते हैं। इसका फायदा हुआ कि अब इसके उपभोक्ता कीसंख्या में भी भरी मात्रा में वृद्धि हुई जिसका फ़ायद बीएसएनएल को हुआ लेकिन झटका तब लगा जब  सरकार ने अगले २ सालो में प्राइवेट कम्पनीओ को भी इस बिजनेस में प्रवेश की अनुमति दे दी। यही से  प्राईस वॉर का खेल शुरू हुआ और जिससे बीएसएनएल के उपभोक्ता कम होते चले गए। एक ओर जहाँ  प्राइवेट कम्पनीओ का  मार्किट शेयर बढ़ता गया वही दूसरी ओर बीएसएनएल मार्केट शेयर दिनों दिन घटता चला गया। 


देशव्यापी कवरेज और सुविधाएं - जैसा की हम लोग जानते है की BSNL एक सरकारी कम्पनी है इसलिए इसकी उपस्थिति पूरे भारत में होनी थी, जो की भारत जैसे देश में बहुत चुनौतीपूर्ण काम था। इसके लिए मेन, मनी, मटेरियल तथा मार्केटिंग सभी चीजों की जरुरत होती है।   इस क्रम में BSNL को ऐसे जगहों पर भी अपनी सेवाएं देनी पड़ी जहाँ उसे निवेश तो अधिक करना पड़ा जबकि लाभ बिलकुल न के बराबर हुआ।  जबकि इस मामले में प्राइवेट  कम्पनीओ के हाथ एक दम खुले थे। उन्होंने सिर्फ और सिर्फ प्रॉफिटेबल रीजन में ही फोकस किया। 


कर्मचारीओ की संख्या - आज बीएसएनएल के पास जहाँ  कर्मचारीओ की संख्या पौने दो लाख है वही प्राइवेट कम्पनीओ में २५ से ३० हजार के बीच में कार्मिक है। जहाँ BSNL अपनी आय का ५० से ६० प्रतिशत कार्मिको के वेतन या अन्य सुविधाओं में खर्च करती है वही इस मद में प्राइवेट कम्पनी का खर्च ५ से ६ प्रतिशत है। यानि पूरा का पूरा मार्जिन प्राइवेट कम्पनीओ को मिल जाता है। 


कर्मचारीओ का अव्यावसायिक रवैया - बीएसएनएल के ग्राहकों  में कमी आने का यह भी एक बहुत बड़ा कारण हैं।  एक समय था जब बीएसएनएल के सिम को प्राप्त करने के लिए जुगाड़ लगाना पड़ता था। लोग इसे प्राप्त करने के लिए वास्तविक कीमत से बहुत अधिक पैसा खर्च करते थे।  इसमें कर्मचारीओ ने खूब पैसा भी बनाया। लैंड लाइन के ख़राब हो जाने पर उसके कर्मचारी बिना सुविधा शुल्क के आप से बात भी नहीं करते थे। इसका  दुष्प्रभाव यह हुआ कि लोगो को विकल्प मिल जाने पर लोगो ने इससे दुरी बना ली।  


स्पेक्ट्रम डील -  देखा जाये तो ये सबसे बड़ा कारण है जिससे पता चलता है कि बीएसएनएल डूबी या डूबाई गयी। जब भी 4G स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई तो BSNL को इसमें शामिल नहीं किया गया।  जिसका फायदा प्राइवेट  कम्पनीओ को मिला।  जहाँ प्राइवेट कम्पनीओ ने इससे अपने लिए  ग्राहक की संख्या में भारीबृद्धि की वही बीएसएनएल को अगले २ सालो तक सरकार से इसके परमिशन के लिए प्रतीक्षा करना पड़ा। बाद में २०१८ में बीएसएनएल ने कुछ सर्किल में अपनी 4g सेवा देना आरम्भ किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 


गलत प्रबंधन - सभी लोगो को मालूम है अपने यहाँ बिजनेश के बहुत सारे कोर्स कराये जाते है और इसका प्रशिक्षण लेकर सुप्रशिक्षित लोग  बड़ी से बड़ी कम्पनीओ को चलाते हैं।  ऐसा नहीं है बीएसएनएल के पास ऐसे अधिकारी नहीं है , उनका बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर्स बहुत ही मजबूत है। लेकिन अगर देखा जाये तो बीएसएनएल को उसके वेळ क्वालिफाइड लोग नहीं बल्कि दशवी बारहवीं पास लोगो से भरी टेलिकॉम मिनिस्ट्री चला रही है।  बीएसएनएल को तो एक स्वतंत्र सगठन होने ही नहीं दिया गया।  उसे सरकार की पॉलिसी और नियमो से इसप्रकार जकड दिया गया जिससे बीएसएनएल अपना पंख नहीं फैला पायी। 


             यही कारण है किआज बीएसएनएल डूबने के कगार पर है। अगर हम बात करे कि बीएसएनएल आगे के कुछ सालो में लाभ कमाएगी तो यह भी संभव नहीं लगता। क्योकि बीएसएनएल के कस्टमर  बेस गिर रहे है तो इसे प्रॉफिट ही नहीं होगा और अगर प्रॉफिट नहीं होगा तो यह अपने 4g सेवा कैसे बढ़ाएगी।  अगर 4g  सेवा को बढ़ाएगी नहीं तो आने वाले समय में 5g कि नीलामी में भी भाग नहीं ले पायेगी ।  इस प्रकार देखा जाय तो बीएसएनएल के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है जो कम होने का नाम ही नहीं लेगी और आने वाला समय बीएसएनएल के बहुत ही मुश्किल भरा होगा। 
 


मनोज सिंह सिकवार, गहमर गाजीपुर, उत्‍तर प्रदेश।


 


 


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