चाकलेट-रीतू अग्रवाल


केशव ने घर में घुसते ही पुकारा - "पिंकी... बेटा पिंकी"
छह वर्षीया पिंकी उछलती कूदती आई और बोली - "नमस्ते अंकल "
पीछे-पीछे पिंकी के माता पिता नेहा और मोहन भी आ गए ।
केशव ने कहा," नमस्ते बेटा , खूब उन्नति करो।ये लो तुम्हारे लिए चॉकलेट और जल्दी से तैयार हो जाओ फिर सब आइस्क्रीम खाने चलेंगे।" पिंकी चॉकलेट लेने को बढ़ी फिर पीछे हट कर बोली - "मुझे चॉकलेट नहीं चाहिए अंकल।"
सब एक दूसरे को देखने लगे।मोहन ने कहा -" यह तो तुम्हारी मनपसंद चॉकलेट है न फिर अंकल से क्यूं नहीं ले रहीं?"
हां ...मुझे पसंद थी पर अब नहीं !
केशव ने कहा ,"मतलब ? हमेशा तो मेरी गुड़िया मुझसे  नाराज़ हो जाती है यदि चॉकलेट न लाऊं तो।फिर आज क्या हुआ?"
पिंकी अपनी आंखे फैलाते हुए बोली ," पता है जब परसों मैं और मेरी पड़ोसी  रिया  छुपा -छुपाई खेल रहे थे तो मैं छिपी हुई थी और रिया मुझे ढूंढ रही थी तभी मैंने देखा एक अंकल उसे चॉकलेट देकर अपने साथ ले गए ।  मम्मी बोल रही थी.... रिया अभी तक नहीं मिली । अब मैं किसी अंकल से चॉकलेट नहीं लूंगी । " कमरे में मौन पसर गया।🙏


✍️रितु अग्रवाल
बेंगलुरु ( कर्नाटक)



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