प्रसिद्ध समाजशास्त्री एवं लेखक डॉ पवन विजय के नए उपन्यास ‘फ़रवरी नोट्स ‘ का ऑनलाइन लोकार्पण 24 अगस्त 2020 सोमवार को संपन्न हुआ | हर्फ़ पब्लिकेशन के बैनर तले आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में अतिथि के रूप में कई नामचीन साहित्यकारों की उपस्थिति रही जिसमें सर्वश्री रामकिशोर उपाध्याय,वरिष्ठ साहित्यकार,अध्यक्ष-युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच नई दिल्ली,श्री बलदाऊ राम साहू, अध्यक्ष, हिंदी भारती संस्थान, छत्तीसगढ़,डॉ. अरुण प्रकाश, वरिष्ठ पत्रकार एवं अकादमिक सलाहकार-अवध विश्वविद्यालय, श्रीमती सुनीता शानू ,वरिष्ठ लेखिका एवं ब्यूरो चीफ – राजस्थान डायरी(नयी दिल्ली) का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है | कार्यक्रम के सञ्चालन की जिम्मेदारी जलज कुमार अनुपम ने बखूबी निभाई |
इस उपन्यास से पहले डॉ पवन विजय की एक उपन्यास “बोलो गंगापुत्र ” आ चुकी है जो पाठकों के बीच बहुत लोकप्रिय है | लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ अरुण प्रकाश ने डॉ विजय के इस उपन्यास फ़रवरी नोट्स को अंतस की अनुभूतियों का उद्घाटन बताया | वही वरिष्ठ साहित्यकार राम किशोर उपाध्याय ने फ़रवरी नोट्स के माध्यम से प्रेम और सामाजिकता के नवीन विमर्श को शुरू करने की बात कही | राजस्थान डायरी की संपादक सुनीता शानू ने इस उपन्यास को बीती यादों का पर्याय कहा जबकि छत्तीसगढ़ हिंदी भारती संस्थान के अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने किताब पर बोलते हुए इसे छायावादी शब्द चित्र की संज्ञा दी|
उपन्यास के बारे में बताते हुए डॉ विजय ने कहा कि मुझे आशा है कि इसे भी ‘बोलो गंगापुत्र’ जैसा प्यार मिलेगा। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि उपन्यास का विषय वस्तु क्या है। यह उपन्यास हर उस व्यक्ति की कहानी है जिसका मन कभी न कभी किसी न किसी के स्नेहिल स्पर्श से महका होगा।यह उपन्यास हर वर्ग के पाठकों को पसंद आएगी |
ज्ञात ही कि डॉ. पवन विजय अपने उत्तर आधुनिक विमर्श के लिए जाने जाते हैं। डॉ. विजय द्वारा लिखित उपन्यास ‘बोलो गंगापुत्र’ आज भी पाठकों की पसंद बना हुआ है । डॉ.पवन विजय का व्यक्तित्व बहु आयामी है वह समाजशास्त्री होने के साथ-साथ स्तंभकार, कवि, सामजिक कार्यकर्ता भी हैं। वर्तमान में डॉ. विजय इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के एक महाविद्यालय में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
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