पात्र परिचय ---फौजी राहुल, माँ ममता,बहन रश्मि,पिता भवानी ठाकुर,भाई रोनित, पत्नी मोनिका, बेटी कोमल(5-6 साल) मिलिट्री आफिसर ,डाकिया रामू
(सीमा पर सैनिकों की भर्ती हो रही है । पड़ौसी देश की नियत ठीक नहीं। रोनित कालेज से छुट्टियों में घर आया है ।)
भवानी ठाकुर ---(चिंतित स्वर में)रोनित , कितने दिन कि छुट्टी पर आया है?
राहुल--पिता जी ,आया तो दो महीने के लिए हूँ ,पर......(बात अधूरी छोड़ देता है ,उसके चेहरे पर चिंता झलक रही।)
भवानी ठाकुर ---(सशंकित स्वर) पर, पर क्या बेटे.?
रोनित --पिता जी,सीमा पर तनाव बढ़ गया है ।शायद ...(उसकी बात पूरी होने से पहले ही डाकिया की आवाज)
रामू डाकिया--ठाकुर साब,ओ ठाकुर साब ....चिट्ठी ले लो ।
रोनित --(चौंक कर )चिट्ठी, आज कल तो मोबाइल हैं फिर चिट्ठी!!!
भवानी ठाकुर ---देख तो ,किसने भेजी है ।
(रोनित जाता है और चिट्ठी लेकर आता है ।चिट्ठी पढ़ते पढ़ते वह उदास और चिंतित हो जाता है।)
भवानी ठाकुर --- किसकी है ..?
रोनित --मेजर बत्रा की...।(कहकर चिट्ठी पिता को दे देता है और भागता हुआ अंदर चला जाता है।)
भवानी ठाकुर (जोर से आवाज लगाते हुये ...).रोनित, अरे कहाँ गया ...मोनिका, मोनिका बहू ..जरा इधर तो आ..।
(खड़े होकर चिंतित से घूमने लगते हैं)(स्वयं से ही...)कमबख्त अंग्रेजी में भेजते हैं ..पता नहीं क्या संदेश भेजा है....।अभी तक कोई आया क्यों नहीं। हे राम ,कोई बुरी खबर न हो ..।)
रश्मी ओ रश्मिया ..अरे सब बहरे हो गये क्या..?
मोनिका (आते हुये ,साँवली ,तीखे नयन नक्श वाली सर पर साड़ी का पल्ला लिए धीरे से)जी बाबू जी ,रश्मि पड़ौस में गयी है ।अम्माँ ने भेजा है ।आप बताइये क्यों बुलाया..।
भवानी०--- बहू ...जरा ये पत्र तो पढ़ दे ..मरा अंग्रेजी में लिखा है।रोनित ने बताया ही नही,क्या लिखा है ?
मोनिका --(पत्र हाथ में लेकर खोलती है ...)डियर ....(. पढ़ कर उसके चेहरे पर शर्म की लाली बिखर जाती है -)
भवानी...अरे क्या हुआ बहू ..।
(मोनिका के चेहरे पर खुशी छा जाती है ।
बाबू जी ,आपके बेटे छुट्टी पर आ रहे हैं ।कह कर अंदर जाने को मुड़ती ही है कि पुलिस की गाडी व एम्बूलेंस का सायरन सुनाई पड़ा।)
अरे .....ये कैसी आवाज आ रही है
(पुलिस की गाड़ी व सायरन की आवाजें सुन के ममता ,रोनित बाहर आते हैं।बाहर से रश्मि भी आ जाती है।)
रश्मि ---पापा ये हमारे घर के बाहर पुलिस की गाड़ी क्यों आई है?
भवानी ठाकुर कुछ कहते ..तभी दो पुलिस आफिसर दरवाजे पर आकर आवाज लगाते हैं।फिर उनके बूटों की ठक ठक भवानी सिंह के घर में गूंजने लगती है।
वो दोनों आकर भवानी सिंह को नमस्ते करते हैं..तभी चार सिपाही सफेद कपड़े में लिपटी बाडी लेकर आते है।
फौजी अफसर ----सिपाही राहुल अपनी टुकड़ी के साथ फौजी गाड़ी से निकला था कि दुश्मनों ने घेर लिया। राहुल ने बहादुरी से उनका मुकाबला किया और अपनी टुकड़ी को सुरक्षित करते हुये शहीद हो गया। हमें अपने इस सिपाही पर नाज़ है।
भवानी ठाकुर ---- रे फौजी ,पागल तो न हो गया। अभी तो मेरे बेटे की चिट्ठी आई है अंग्रेजी में कि वह आ रहा है ......।
फौजी --जी ,उसकी छुट्टी मंजूर हो गयी थी।पर अचानक पड़ौसी दुश्मन ने हमला कर दिया ।इसलिए छुट्टी निरस्त कर दी गयी थी।
ममता ---नहीईईईईईईईईईईईईईईईईई.....
ये नहीं हो सकता ..मेरा बच्चा ..।(डेड बॉडी से लिपट कर रोने लगती हैं।रश्मि भी बिलख उठती है।मोनिका निस्तब्ध ,आँखें फटी रह जाती हैं।)
पडौस से एक गीत गूंज उठता है ..
घर मेरे ये संदेशा भिजवा देना
मेरी माँ को संकेतों में बतला देना।
न समझे तो जलता दीपबुझा देना..
बहना को संदेशा दे देना
न समझे गर वो लाडली मेरी
सूनी कलाई दिखा देना ....।
मेरे पिता को संकेतों से समझा देना ।
आँसू उनके तुम यूँ पौंछ देना ।
न समझे तो टुटी लाठी देदेना ...
(भवानी प्रसाद यह सुन कर टूटी लकड़ी की तरह जमीन पर गिर जाते हैं।उनके आँसू बहते हुये )
भाई को तुम समझा देना .
संकेतो से बतला देना ..
न समझे तो गले लगा लेना ..।
(रोनित भैया ,मेरे भैया कहता हुआ बिलख उठता है।)
रो न दे बेटी मेरी ,प्यार से मुस्का देना
न समझे तो भैया मेरे , मस्तक उसका सहला देना।
राह देखती होगी बीबी मेरी ..
संकेतों से बहला देना ...
माथे. का चमकता सूरज .
हाथों से अपने मिटा देना.....
ममता --बहू ..ये क्या हो गया ,तू तो कह रही थी कि लाल आने वाला है।
भवानी ---हाय मेरे लाल., तू तो नाम कर गया मेरा। मैं तो इस काबिल भी नहीं कि तेरी जगह मैं फौज में जाकर तेरे दुश्मनों.को मार सकूँ....
मोनिका--- आप सब रो क्यों रहे हैं। चुप हो जाइये ..।
ममता -अरी अभागन, तेरा सुहाग मिट गया ....और तू ....मिटा दे ये सिंदूर और बिंदी..
मोनिका ---नहीं माँ ,मैं.अभागिन नहीं चिर सुहागन हूँ। मुझे अपने सिंदूर पर गर्व है कि उसने अपने रंग को फीका न होने दिया।मैं उनके अधूरे काम को पूरा करूँगी पर सिंदूर नहीं मिटाऊँगी।
फौजी अफसर मोनिका के दर्द को महसूस कर बिलख उठे ...
पाखी
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