काश्‍मीर की घाटी- अलका



आज मीना बहुत खुश थी मुम्बई से चार सहेलियाँ अमरनाथ यात्रा के लिऐ श्रीनगर आई थी और यात्रा कर के कश्मीर में उसके पास आ रही थी , कश्मीर घुमना था , उन सबो को मीना बहुत बेसब्री  से इंतज़ार कर रही थी ! ड्रायवर सब को लेने गया था , सब तैयारी कर ली थी मीना  ने , खाना बन गया था ,इंतज़ार की घड़ियाँ कट नहीं रही थी  ....वर्षों बाद जो मिल रहे थे  एक अलग तरह की ख़ुशी हो रही थी ...मीना पुराने वक्त में गोते लगा ही रही थी की कार की आवाज़ आई , वह भाग कर बहार गई और चित्रा , उमा , संगीता , अलका , सबसे गले मिलकर रोने लगी सभी प्यार व भावुकता से रोने लगे तब तक मीना के पति अशोक बहार आए और बोले “सखी “मिलाप बहार ही होगा ...? की अंदर आओगे ...सब एक साथ ...आप को क्यों जलन हो रही है आप भी बहार आ जाओ किसने रोका है भाई साहब ...हम आप से भी गले मिल लेते है ..सब को लेकर मीना अंदर आई सब सखीयां मीना का घर देख कर बहुत खुश... वाह वाह  क्या खुबसूरत घर है ! स्वर्ग है , सब को रुम बता कर समान रखवाया कर , मीना ने कहाँ तरोताज़ा हो कर आ जाओ खाना लगाती हूँ !
चित्रा ने कहाँ कश्मीर आये हैं यहाँ फ़्रेश होने की जरुरत नही ताजगी यहाँ की हवाओं में है ...तुम खाना लगाओ खाना खा बहार चलते है यहाँ की सुदंरता देखते है ।अलका तब तक अशोक जी से बोली भाई साहब यहाँ की कुछ बातें बताये यहकश्मीर नाम क्यों पड़ा , और कश्मीर घाटी से जो पंडित विस्थापित हुऐ वे लोग “३७० “धारा हटने के बाद वापस आ गये होंगे ...? अशोक जी बोले हालात अभी भी ठीक नहीं है .. आप लोग खाना शुरु करे बताता हूँ , कहते हैं कि मुग़ल बादशाह जहांगीर जब पहली बार कश्मीर पहुंचे तो उनके मुंह से सहसा निकल पड़ा "जन्नत अगर कहीं है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।"(हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ  हमीं अस्त) भारत का मुकुटमणि, धरती का स्वर्ग, यूरोप का स्विट्ज़रलैंड, कुदरत की कारीगरी और अकूत खूबसूरती का खजाना, पहाड़, झीलें, वनस्पति, हरियाली, महकती पवन... ऐसा लगता है मानो पूरा-का-पूरा ‘स्वर्ग’ धरती पर उतर आया हो! यह नजारा है कश्मीर की धरती का।  तभी तो इसे धरती का ‘स्वर्ग’ कहा जाता है। कश्मीर घाटी का नाम कश्मीर कैसे पड़ा? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
आप लोग खाना खाए कश्मीरी , पुलाव और यह क्या पीला पीला उमा ने पूछा तो.. मीना ने बताया यह चामन ( पीला पनीर)है
त्यौहारों और जन्मदिन, वर्षगांठ आदि जैसे अन्य अवसरों के दौरान बनाया जाने वाला “चामन”एक लोकप्रिय पकवान है। कश्मीरी ताजा पनीर बनाकर इसे फ्राइंग करके, और फिर हल्दी ग्रेवी के साथ मिश्रण करते हुए यह पकवान बनाते हैं।
तु लोगों के लिए स्पेशल बनाया है ये खाओ “रोठ” संगीता ऐ रोठ क्या है ? “रोठ “एक मीठी रोटी है, जिसे कश्मीरी मीठे के रूप में खाना पसंद करते हैं, इसे आटा, घी, चीनी से बनाया जाता है।मीना ने बताया क्या करु तुम लोग मांसाहारी होते तो खिलाती
तुम्हें यहाँके लज़ीज़ पकवान “तबाक मास “ यख्नी””रीस्टा”“रोगन जोश”वाजवान”
बस कर ये नाम नहीं सुनने हमें बोलना ही नहीं आयेगा तुम हमें सिर्फ़ दाल चावल खिलाना बस हम खाने नहीं घूमने आये है सब खाने की टेबल से उठे तो मीना बोली “कहवा” तैयार है खाने के बाद पीओ मजा आयेगा यहाँ की स्पेशल चाय सब ने बालकनी में डेरा जमा लिया और कहवा के जायेके के साथ पुरानी यादे ताज़ा करती रही । चित्रा बोली मीना हमने श्रीनगर घुम लिया है , “ शिकारा “ में भी रह लिए तुम हमें कश्मीर घाटी घुमा दो यहाँ  के कुँछ लोगों से मिलवा दो हम देखें यहाँ के लोग कैसे होते है ... यहाँ की संस्कृति कैसी है ! मीना यहाँ मुस्लिम लोग ज़्यादा है हिंदू बहुत कम रह गये है तुम्हें ड्रायवर घुमा लायेगा , कार में सब आ नहीं पायेंगे।
अच्छा यह बता मीना कश्मीर घाटी जिस झेलम नदी के लिए विश्व प्रसिद्ध है वह कितनी दूर है तुम्हारे घर से मीना बहुत दूर नहीं है वहाँ कल चलेंगे समय लगेगा वेरीनाग : कश्मीर घाटी जिस दरिया झेलम के लिए जानी जाती है “वेरीनाग “उसी झेलम का स्रोत स्थल है। यह 80 किमी दूर और 1876 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। विदेशी बहुत आते हैं यहाँ दर्शन करने ! कल तुम लोग ये जगह घुम कर आना ..चलो ऐसे ही घुमते हैं आज कुछ शांपिग कर लेंगे , फ़ोटो खिंच लेंगे , चलो सब लोग बहार टहलने निकले पर हवा बहुत ठंडी थी सबको मज़ा आ रहा था .. बडे बडे चिनार के पेड़ बहुत सुदंर लग रहे थे .,प्राकृतिक सुंदरता के क्या कहने पहाड़ से निकलती सफ़ेद बर्फ़ की पहाड़ी देखते ही बनती थी कश्मीर घाटी की प्रसिद्ध बेंत के बने सामान देख कर चित्रा अलका सब लेने लगी तब मीना ने कहाँ तुम लोग कल सब चीजें जैसे बादाम, अखरोट, चेरी, बासमती चावल, राजमा आदि खरीदना , इसके अलावा सिल्क के कपड़े, बेंत का सामान तथा कालीन भी खरीदी जा सकती है। खरीददारी के लिए सरकारी एम्पोरियम, खादी ग्रामोद्योग भवन जायेगे वहाँ सब मिल जायेगा यहाँ से थोड़ा बहुत ही ख़रीदो , यहाँ मंहगा मिलेगा ..
तभी अलका एक वृद्ध काका को देख पूछ बैठी आप कब से है यहाँ आप के बच्चे ।
“ काका अरे बेटा मेरा जन्म ही यही हुआ है ,, बच्चे लोग सब बहार चले गये पढ़ाई करनेयहाँ के हालात तो सब जानती हो ..बच्वचे गये तो वही ही रह गये यहाँ आना नहीं चाहते , हमें बुलाते हैं हम जाना नहीं चाहते पुस्तैनी घर छोड़ कर कैसे जाए ..
हमारा गुज़ारा हो जाता है बेटा यह कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल हैं। हालांकि 26 सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण सब कुछ छिन्न-भिन्न हो चुका है। लेकिन बावजूद इसके आज भी इसके पर्यटन स्थल दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करते है । यह सौन्दर्य कहाँ मिलेगा, बस इसी लिए नहीं जाते ! फिर अब “ ३७०
धारा हट गई है देखते है हमारा घर मकान वापस मिलेगा की नहीं कितने बच्चों की कश्मीर घाटी में सर्विस लगा कर बुला लिया वह अपने घर नहीं आ पा रहे उनके माँ बाप इकेले रह रहें है देखो अब आगे क्या होगा ..मीना अलका चल तुम जहां देखो जिससे देखा बातें करने लगती हो ..अरे पूछ रही थी ..चलो कहाँ चलना है ..चार दिन घुमते कैसे हित गये पता नहीं चला आज मुम्बई की वापसी थी जम्मू एयरपोर्ट से , सब को कार में बैठा कर मीना ने रवाना किया पर भारी मन से सब का मन बिछड़ने का नहीं हो रहा था पर जाना था ! मीना ने कहाँ आते साल में आऊगी  अब हम मिलते रहेंगे सभी ने मन में कश्मीर घाटी की सुदंरता को  आँखों में भर कर विदा  ली बॉय  बॉय कश्मीर घाटी ,,,

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अलका पाडेंय (अगनिशिखा मंच)
देविका रो हाऊस प्लांट  न.७४ सेक्टर १
कोपरखैराने  नवि मुम्बई च४००७०९
मो.न.९९२०८९९२१४
ई मेल alkapandey74@gmail.com



 


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