पात्र...
1. खाकी वर्दी वाला हाथ मे डंडा लिए ।
2.टेम्पू वाला ग़रीब फटेहाल ।
ख़ाकी वर्दीवाला -आरे -आरे ,रुक -रुक , कहा घुसइले आ रहा है जी ? डंडा खाएला है का ?
पुलिसवाले के डंडा पीटने से डरकर टेम्पूवाला अपना टेप्मू रोक लिया डरते -डरते बोला।
टेम्पूवाला - हजूर माई बाप कन्नो नहीं जा रहे हैं।कहाँ जायेंगे ?
ख़ाकी वर्दीवाला- ससुरा बहस करेगा रे, तोर एतना हिम्मत!
टेम्पूवाला-ना ना हजूर हम त कुछो नहीं बोल रहे हैं।
ख़ाकी वर्दीवाला-नहीं बोल रहे हैं तो ई केकर मुँह से निकल रहा है रे सब भूल गया तु सब चल निकाल ,जल्दी नहीं तो अभिये चालान काट देवेंगे।
टेम्पूवाला -हजूर सबेरे से भुक्खे दौड़ रहे हैं ,ई लॉक डाउन में एक्को रुपिया का बहनी नही हुआ ,सरकार क्या दें आपको।
ख़ाकी वर्दीवाला- अरे तू करेगा बहस रकी निकालेगा जल्दी ,डंडा पड़ेगा त तोरा सब निकल जायेगा।
टेम्पूवाला-सच्चो कह रहे हैं घर में माँ, पत्नी, बच्चा सब बीमार है ,सोचा दो पैसा कमा लेंगे तो दवा-दारू हो जाएगा, बाकी एकोगो सवारी नहीं आया।(वो रुआँसा हो गया)
तब-तक एक एक सवारी आ गई।उसके साथ पुलिस वाला भी बैठ गया।सवारी पहले उतरा तीस रुपया दिया। आगे पुलिस वाला उतरा पैसा तो दिया नहीं जो मिला था वो भी लेकर चला गया।टेम्पुवाला देखता रह गया मगर उसका दिल और वर्दी दोनों ही रो रहे थे।
जिंदगी वह नहीं जो आपको मिलती है, जिंदगी वह है जो आप बनाते हैं।*
गुनाह करके कहां जाओगे जनाब, ये जमीं, ये आसमां सब उसी का है।
इन्दु उपाध्याय, पटना
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