कोरोना काल में मध्यम वर्गीय परिवार की व्यथा सत्य-कंचन


यह बात तो पूरी तरह से सही है इस कोरोना की आपदा ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। पर हम फिर से संभल रहे हैं गरीब की तो पूरी तरह से इस बीमारी ने कमर तोड़ कर रख दिया। और आमिर को भी बहुत फर्क पड़ा है कोरोना महामारी से पर गरीब के लिए सरकार ने बहुत कुछ किया है जैसे उनके खाने पीने की व्यवस्था और कुछ आर्थिक मदद भी की है पर मध्यम वर्गीय परिवार का क्या उन्हें भी तो बहुत तकलीफो का सामना करना पड़ा है उनकी तो कहीं सुनवाई ही नहीं गरीबों की मदद के लिए तो हर संपन्न इंसान खड़ा हो गया मैं यह नहीं कहती कि यह नहीं करना चाहिए बिल्कुल करना चाहिए गरीबों की मदद पर मध्यम वर्गीय परिवार को भी सहारा मिलना चाहिए था उन्हें भी अपना घर चलाना है खर्चे तो सभी के हैं पर मध्यम वर्गीय परिवार को ना तो सरकार का सहारा मिला और ना ही कोई धनवान आया उनसे पूछने की भाई तुम कैसे जी रहे हो वह तो बेचारा बीच में चक्की के पाटे की तरह पिस रहा और कोई देखने वाला नहीं यह कटु सत्य है मध्यम वर्गीय परिवार की इस कोरोना आपदा में।


कंचन जयसवाल
नागपुर महाराष्ट्


 



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