आंखे हो गई तेरी , सूर्ख लालम लाल !
क्रोध न कर चेहरा ,हुआ लालम लाल !!
लहू खोल रहा तेरी रंगों में
उबाल आ रहा है उनकी रंगों में !!
आपस में क्यों कर रहे हो जंग
लहू तो सबका है सिर्फ़ लाल रंग !!
फिर क्यों प्यासे हो तुम लहू बहाते !
हिंदू हो या मुस्लिम हो ,सबके लहू का रंग लाल !!
गले मिल कर रहना है , आपस में प्यार बाँटो
भाई को भाई से दो भागों में मत पाटों !!
यह हिंद देश प्यारा , महकता है भाई चारा !
प्यार से गले मिलते ,बहती है स्नेह की धारा !!
बहन भाई को लाल रंग से तिलक लगाती है
भाई की लम्बी उमर की कामना करती है !!
लाल रंग सुहाग का प्रतिक मंगल दाता !
लाल रंग माता को प्यारा पूजा में स्थान पाता !!
लाल रंग भोर की पहली किरण बिखेरती
लाल गुलाब से बगीया महकती रहती !!
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अलका पाडेंय (अगनिशिखा मंच)
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर १
कोपरखैराने नवि मुम्बई च४००७०९
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