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हेलो, हेलो। मैं रमन बोल रहा हूं।
रानी ने फोन उठाते हुए कहा- कैसे हो भैया? कब आ रहे हो? ध्यान रहे अगले महीने रक्षाबंधन है। रक्षाबंधन के दिन मैं इंतजार करूंगी। तुम जरूर आना। राखी तुम्हारा इंतजार करेगी।
रमन ने कहा- बहना, मैं जरूर आऊंगा। परंतु मातृभूमि की रक्षा के लिए लडऩा भी पड़ सकता है। युद्ध के हालात बने हुए हैं। जब हमारी सीमा संकट में हो तो हम सभी का फर्ज बनता है की जी जान से दुश्मनों को मार गिराए। बस मां और भाभी का ख्याल रखना। समय मिला तो मैं आऊंगा। समय बीतता गया। रक्षाबंधन का पर्व नजदीक आ गया। उधर सीमा पर बुलावा आ गया। संकट के बादल छा रहे थे। दुश्मन सीमा में घुसने का प्रयास कर रहे थे। रमन ने अपनी बहन को फोन मिलाया और कहा-मैं सीमा पर रक्षा के लिए जा रहा हूं। अगर बच गया तो जरूर आऊंगा। मेरा इंतजार करना। रानी ने डरते हुए कहा- भैया, यह तो संकट की घड़ी है और दूसरी तरफ तुम्हारी कलाई राखी का इंतजार करेगी। परंतु देश रक्षा में कोई कसर नहीं छोडऩा। दुश्मनों को मार गिराना। मां और बहन का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। रमन ने कहा-ठीक है, मैं जा रहा हूं। परंतु रक्षाबंधन के दिन मेरा इंतजार करना। रानी ने जवाब दिया- ठीक है भैया मैं इंतजार करूंगी।
रक्षाबंधन का पर्व आ गया। रानी अपनी थाली में राखी सजाए भाई के आने का इंतजार कर रही थी। उसे विश्वास था कि भाई जो कह देता है वह करके ही दम लेता है। आज जरूर भाई आएंगे और मैं उनके हाथों पर राखी बांध दूंगी, तिलक लगाऊंगी, लंबी उम्र की भगवान से प्रार्थना करूंगी।
तभी दरवाजे पर खटखटा सुनाई दी। रानी दौड़कर दरवाजे की ओर लपकी- भैया आ गए, भैया आ गये। हंसते ही मुस्कुराते दरवाजे पर पहुंची, दरवाजा खोला तो सामने एक सैनिक को खड़ा देखा। आप कौन है? मेरा भैया कहा है? सैनिक ने पूछा -यह रमन का घर है? रानी ने कहा- हां, मेरे भैया कहां है? सैनिक की आंखों में आंसू बह निकले जब उसने रानी को कहते सुना-राखी मैं अपने भैया को राखी बांधूंगी। सैनिक ने जवाब दिया -अफसोस, उन्होंने देश की सीमा पर हंसते हंसते जान कुर्बान कर दी। इतना सुनकर रानी के हाथ से सिंदूर की थाली गिर गई। मां ने जब थाली की गिरने की आवाज सुनी अंदर से आवाज लगाई-सिंदूर की थाली कैसे गिर गई? बहुत अपशकुन है? क्या हुआ राखी? थाली कैसे गिर गई ? वह दौड़ कर आई थी और सामने सैनिक को देखकर कहा-रमन को क्या हुआ, क्या हुआ, जल्दी बोलो? रानी धरती पर बैठ गई और चिल्लाने लगी, मेरे भाई शहीद हो गये। कोहराम मच गया। मां की आंखों से आंसू धार सरकार में रही थी जैसे गंगा की धारा बह रही थी कहीं रमन की पत्नी तो होश तक खो बैठी। कहीं उसकी बहन चिल्ला चिल्ला कर अपने भाई को याद कर रही थी।
तभी उनका शव पूरे सम्मान सहित गांव में पहुंचा। चारों ओर रमन जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे। परंतु बहना को भाई की कलाई का इंतजार था। किंतु अब भैया नहीं रहे। इससे बुरा दिन शायद धरती पर मेरे लिए कभी नहीं होगा। अपने हाथ में राखी लिए रानी खड़ी थी और उसने कहा बेशक मेरे भैया देश सीमा पर काम आए लेकिन मैं उन्हें जरूर राखी बांधूंगी।
सैनिकों ने रमन को मातमी धुन बजाकर सलामी दी। सलामी दी जा रही थी तभी रानी दौड़ कर अपने हाथ में राखी लिए भैया की कलाई पर राखी बांधने लगी। भैया भैया चिल्ला रही थी। अश्रु धार बह निकली। जिसने भी यह नजारा देखा, आंखों से आंसू बहने लगे। वह सोच रही थी कि इतने बड़े पर्व पर, बहन के पर्व पर ,भाई जुदा हो गया। भगवान ने क्या किया? पूरा परिवार आंसुओं में डूब रहा था और उसके भाई रमन को सैनिक सलामी देकर विदा कर रहे थे।
होशियार सिंह यादव
कनीना- जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा
फोन 09416348400
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