ऊंचा मकान -अजनबी


 


एक गांव में बंशीधर नाम का एक बहुत ही अमीर परिवार रहता था। जो बहुत ही अय्याश किस्म का शराबी , जुआरी जो भी कह ले कम है। सब उसके अंदर कूट-कूट कर भरी थी । उसका दुकान बहुत अच्छा चल रहा था । अपने परिवार का पालन लालन उसी दुकान से किया करता था। मकान भी बहुत सुंदर था । ऊंचा मकान देखने में दूर से बहुत अच्छा लगता था। 
लेकिन समय बदलते देर नहीं लगती । उसी के बगल में एक मध्यवर्गीय परिवार जो माटी का मकान में रहा करता था। उसकी दिन दशा थोड़ा दयनीय था । सात बच्चों का पालन पोषण करना  गली गली घूम कर बेचने वाला व्यापारी इस गांव से उस गांव  किया करता था । वह भी पैदल और दोनों एक ही बिरादरी के थे। वह अपना मकान दिखा रहा था कि मेरा मकान पूरे गांव में ऐसी नहीं है । और बगल वाला जो एक मध्यवर्गीय परिवार रहा करता था इसी तरह अपने बाल बच्चों का लालन पालन पोषण कर के जीवन यापन करता था। वह मकान कहां से बनवा पाता अमीर आदमी का भी सात आठ बच्चे थे ।  बड़ा लड़का एक एक्सीडेंट में मारा गया ।  
समय ऐसी बदली की ठीक उल्टा हो गया जो बगल वाला मध्यवर्गीय  परिवार था। वह अपनी मेहनत और लगन से आज बहुत अच्छे जगह  पर है । उसका बाल बच्चा परिवार बहुत सुख शांति से रहता है। सब अपना अपना दुकान कर लिया।अच्छी आमदनी है कमाई अच्छी है । सबका अलग अलग मकान है। मध्यवर्गीय परिवार वाला आदमी बहुत सुख चैन से है। जो बगल वाला अपना मकान दिखा रहा था आज वह इस दुनिया में नहीं है । उसके सारे  लड़के कोई गंजेड़ी कोई भगेडी एवं शराबी  पूरा परिवार उसका नशा में चुर रहता  है । कोई बदाम बेचता है। कोई फल बेचता है । कोई कुछ बेचता है। कोई मिट्टी का तेल बेचता है।  पेट्रोल बेचता है । आज ऐसा स्थिति आ गई है। कि एक छोटे से मकान पांच भागों में विभाजित हो गया। 
हर लड़कों को एक एक कमरे का रूम मिला है। उसी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। भगवान जाने लेकिन उस जमाने में ही उसका रुतबा था बोलबाला था । आज वही स्थिति है कि दाने-दाने के लिए लोग मोहताज हैं । ठीक ढंग से अपना परिवार नहीं ये चला पाते आज वह स्थिति  है कि उसके परिवार सब बाल बच्चे बिखर गए , कोई किसी से नहीं बनता । ना अपने भाई बिरादर से बनती है। 
सब जहां का तहां वही बंसीधर पहले बगल वाले को माल बेचने के लिए दिया करता था। आज जो बगल वाला व्यक्ति थे रामनरेश वह भी इस दुनिया में नहीं रहे । लेकिन उसके परिवार बाल बच्चे उस से भी ऊंचा मकान बना लिया है। सब मिलजुल कर एक साथ रहते हैं। अपने परिवार में  कोई नशा नही करता।सब मिलजुल कर अपना काम करते हैं । सब का प्रेम बना रहता है ।  
रामनरेश बहुत मिलनसार  आदमी जो हर किसी से सुख दुख में अपनो से मिला करते थे। और  ऐसे लोग अपनी झूठी शान का दिखावा नहीं करते अपनी ऊंची मकान की घमंड नहीं करते।उसका परिणाम क्या होता है वह भगवान ही जाने हम सब इंसानों के बस में क्या है जलन की भावना कि हम उसे आगे हैं तो हम उससे आगे रहे ।यही एक दूसरे का भावना रहती है दिमाग में क्या करें क्या ना करें लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर होता है । जो समय बदलते देर नहीं लगती। 
वही राम नरेश का मकान एकजुट होकर सब मिलजुल कर अपना उससे भी ऊंचा मकान बनवा लिए बहुत अच्छा मकान लेकिन क्या कहा जाए जिसके नसीब में जितना रहता है मिलता है । लेकिन अपनी झूठी शान नहीं दिखाना चाहिए मैं तो यही कहूंगा।।


उपेंद्र अजनबी 
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
7985797683



 


 


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