शिक्षक दिवस विशेष
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु
गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षत परमब्रह्मा
तस्मै श्री गुरुवे नमः
प्राचीन काल में तो गुरु की वंदना इसी प्रकार से करते थे एक महाभारत का उदाहरण ले सकते हैं जब कर्ण के गोद में गुरु परशुराम शीश रखकर विश्राम कर रहे थे और अचानक वहां एक बिच्छू आ गया और वह कर्ण के पैरों में डंक मारने लगा तब भी कर्ण ने बिना कोई प्रतिक्रिया किए सारा दर्द सह लिया ताकि गुरु की निंद्रा में कोई भी विघ्न ना आएं। ऐसे कई और उदाहरण है प्राचीन काल मेंपर आज वर्तमान काल में बिल्कुल विपरीत परिस्थिति है आज के बच्चे तो जहां गुरु ने डांट दिया या एक थप्पड़ मार दिया तो बच्चे मन में बदले की भावना लेकर उन्हें आहत पहुंचाने की सोचने लगते हैं गुरु अगर कुछ ज्ञान की बातें भी बताए तो उनका कक्षा खत्म होने के बाद मजाक बनाया जाता है आजकल के बच्चे तो महिला टीचर पर भी भदृदी टिप्पणी करते रहते हैं और कोई भी हद पार करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं प्राचीन समय से वर्तमान समय में जमीन आसमान का अंतर आ गया है गुरु शिष्य के संबंधों में। पर हमें और हमारे बच्चों को यह मानना ही होगा कि गुरु प्राचीन समय में भी पूजनीय थे और वर्तमान समय में भी पूजनीय रहेंगे । क्योंकि बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता हमारे अच्छे भविष्य का रास्ता हमें गुरु ही बताते हैं।
कंचन नागपुर।
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