रेखा की मनमानी-कंचन

 


    आज अजय ने रेखा को जोर से डांट दिया ‌। और कहा मैं थक गया हूं तुम को समझा समझा कर पर तुम हमेशा अपनी ही जिद लेकर बैठ जाती हो पर आज तो तुमने हद ही कर दी। मैं अब और नहीं सह सकता तुम मेरे साथ नहीं निभा सकती तो तुम अपने मायके चली जाओ पर मैं तुम्हारे लिए अपने मां-बाप को दीदी के घर नहीं भेजूंगा उनकी देखभाल करना मेरा कर्तव्य है और यह मैं जरूर निभाऊंगा। यह कहकर अजय ऑफिस निकल गए मेज पर नाश्ता पड़ा कि पड़ा रह गया रेखा भी अपने कमरे में जाकर फूट-फूट कर रोने लगी और याद करने लगी कि जब वह शादी करके आई थी तो अजय उसकी हर बात मानते थे और उसके सारे नाजो नखरे बड़े प्यार से उठाते थे और रेखा को भी तो बचपन से आदत थी अपनी ही बात मनवाने की। आखिर तीन भाइयों में इकलौती बहन जो थी सो मां बाप भी और भाई सभी उसकी सुनते थे रेखा का ही जन्मदिन उस घर में मनाया जाता था उसके लिए केक आता था और बहुत सारे उपहार भी मिलते थे और सारी इच्छाएं भी उसकी पूरी होती थी उस घर में इस वजह से भी रेखा थोड़ी जिद्दी हो गई थी सामने वाली की तो वह बिल्कुल भी नहीं सुनती थी। ऐसा स्वभाव लेकर जब रेखा ससुराल आई तो पहले तो अजय ने बहुत अनदेखी की सोचा रेखा में थोड़ा बचपना भरा है धीरे धीरे सुधर जाएगी इस वजह से वह रेखा की सारी बातें मानता था पर आगे चलकर रेखा ना सुधरी और उसकी मनमानी बढ़ती चली गई वह सही बाकी सब उसको गलत लगते थे इसी स्वभाव के वजह से उसका उसकी सास से नहीं बनता था इस वजह से दोनों में हमेशा तू -तू मैं -मै होती थी यही सब रेखा सोच ही रही थी कि अचानक मोबाइल की रिंग बजी फोन उठाया तो मम्मी का फोन था दबी आवाज में रेखा ने कहा, हां मम्मी बोलो मम्मी समझ गई आज फिर कुछ ना कुछ खटपट हुई है मम्मी ने जोर देकर रेखा को पूछा क्या हुआ मुझे बताएगी रेखा से रहा न गया वह रोते हुए बताने लगी मम्मी आज उन्होंने मुझे अपने मायके चले जाने को बोल दिया इस वजह से मैं बहुत दुखी हूं तब मैंने पूछा तुमने भी तो जरूर कुछ बोला होगा तब रेखा ने बताया मैंने बस इतना कहा कि मांजी का और मेरा नहीं जमता तो आप माजी को दीदी के घर भेज दो बस इसी बात पर अजय नाराज हो गए और मुझे मायके जाने बोल दिया हमेशा के लिए अब मैं क्या करूं मम्मी
      मम्मी ने कहा गलती हमारी है हमने तुम्हें बचपन में जो मनमानी करने दी इसी वजह से तुम ऐसी जिद्दी हो गई हो रेखा अब भी सुधर जाओ और अपनी मनमानी की वजह से अपना अच्छा खासा घर बर्बाद मत करो गलती तुम्हारी है कोई भी बेटा यहां बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी उसके मां-बाप को घर से निकल जाने को कहे मैं तो बस यही कहूंगी। जब अजय ऑफिस से घर आए तो तुम उससे माफी मांग लो और दोबारा यह गलती कभी नहीं करना रेखा को अपनी गलती का एहसास हो गया था वह अजय का बेसब्री से घर आने का इंतजार करने लगी।


कंचन, नागपुर।


 



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