रो पड़ी ख़ाकी
नया पुलिस स्टेशन खुल गया है आज बहुत दिनों से जनता की गुहार पर यह पुलिस स्टेशन खुलने जा रहा था !बहार हलचल थी , डी सी पी आने वाले थे उनके हाथों ही उद्वघाटन होना था , सारी तैयारी हो गई थी ।डी सी पी की गाड़ी आते ही सब पुलिसकर्मी सावधान की मुद्रा में खड़े हो सलामी दी , डी सी पी आकर बैठे ओर पाँच मिनट में उद्घाटन ...लाल रिबन काट दिया ...तालियाँ और भाषण बाज़ी भाषण के लिए आखीर में डी सी पी का नाम पुकार ..डी सी पी उपस्थित मेरे सहकर्मियों और यहाँ की जनता आप सबको अभिवादन करता हूँ। आप सबकी फ़रियाद और यहाँ की अव्यवस्था गुंडागर्दी , चोरी की बड़ती वारदातों की वजह यह पुलिस स्टेशन आप की सेवा के लिए तैयार है ...
डी सी पी का भाषण चल रहा था की एक बुढी औरत साथ में खुबसुरत औरत उसकी गोद में पाँच साल की बच्ची रोते हुए रहम करो ....रपट लिखो ..
घोर कलयुग आ गया है ..
रोते हुए डी सी के हाथ पकड़ कर बोली साहब रपट लिखनी पड़ेगी नहीं तो मैं यही जान दे दूगी ...
डी सी पी .. क्या हुआ माँ जी अंदर आराम से बैठो पानी लाओ
और ड्यूटी पर कौन है . ?
तभी सर मैं गायतोडें ...हाज़िर
डी सी पी - गायतोंडे यह माँ जी की रिपोर्ट तैयार करो मैं केस सुन कर जाऊगां तुरन्त कार्यवाही ..
गायतोंडे - आईये आप लोग मेरे साथ क्या समस्या है बताए
माँ जी .. बेटा पाप फूट रहा है
यह मेरी बहू है युवती की तरफ़ देख कर माँ बोली
मेरा बेटा कल रात दारु पी कर आया और यह पाँच साल की उसकी बेटी के साथ रेप कर.....
दोनों ज़ोर ज़ोर से रो ने लगी ..
गायतोडे - क्या किया सिलसिले वार बताओ ..रोना बंद करो
बुढी माँ —चश्मा निकाल पोछ कर वापस आंखो पर चढ़ा कर बोली लिख मेरा बेटा प्रताप ने कल रात मेरी पाँच साल की अबोध पोती नूपुर के साथ बलात्कार करने की कोँशीश की हम बचाने गये तो हमें भी मारा पीटा और घर से निकालने लगा वह तो पड़ोसी आ गये तो रात काट पाए ..
ये रिपोर्ट लिखते वक्त सभी वहाँ उपस्थित ख़ाकी वर्दी रो पड़ी ...
रो पड़ी ख़ाकी वर्दी ......
एक वर्दी उठ कर बोली ... किधर है कुत्तरया ... आई शपथ बजा देता हूँ.....( किधर है कुत्ता माँ की कसम ठोंक देता हू )
गायतोंडे - गप्प बस हो ..( चुप्प रहो )
हाँ माँ जी आप का नाम ..
माँ जी -कमली नेमाने ,
गायतोडें - युवती को देखते हुए तुम्हें भी शिकायत दर्ज करवानी है .... हैं
गायतोडें- नाम
युवती - आरती नेमाने ..
गायतोडें - बोलो क्या हुआ .....
आरती -/ मेरा पति प्रताप को बेटा चाहिए था नूपुर से बहुत नफ़रत करता है , मारना पीटना तो ठीक था कल रात तो उसने सारी मर्यादाओं की धज्जियाँ उड़ा दी .........
साहब उसको पकड़ कर सजा तो वर्ना वह हम सबको मार डालेगा
घर जाने को डर लगता है ....
आरती ने नुपुर की पीड खोल कर दिखाई , गायतोंडे नहीं .......बंद करो .....वहाँ पर जितनी ख़ाकी वर्दी थी सब रो पड़ी
गायतोडे - डाक्टर कडून घेवून जा .....( डॉ. के पास ले जाओ )
भोषले को आवाज़ लगा नूपुर को डाक्टर के पास लेजाने को कहाँ और माँ जी को बोला चलो मेरे साथ प्रताप को पकड़ लाते है
छोड़ेंगे नहीं हैवान को जेल की हवा खिलानी ही पड़ेगी
रोती ख़ाकी वर्दी .ने आँसू पोछे और बोली यह अत्याचार अब नहीं ?
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अलका पाडेंय (अगनिशिखा मंच)
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर १
कोपरखैराने नवि मुम्बई च४००७०९
मो.न.९९२०८९९२१४
ई मेल alkapandey74@gmail.com
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