सुहाने पल -अलका

 




सुहाने पल 


दिल के झरोखे में बंद है 
कुछ सुहाने पल ...
कभी शर्माते , कभी गुनगुनाते है !
सुहाने पल ..
साजन की मधुर बाते , 
हसीन मुलाक़ातों के सुहाने पल 
याद बहुत आते सुहाने पल !!
प्यार भरें वो दिन और रातें 
सकुचाती , शर्माती ...
मैं बात नहीं कर पाती ! !
झुकी झुकी नजरे 
दिल की बात कह जाती !!
बिन लफ्जो के कहानी बयां होती 
मीठे मीठे वो एहसास , 
भीनी भीनी वो ख़ुशबू भरे सुहाने पल ...
आज भी याद आते है 
गुदगुदाते है !!
वो सुहाने पल 
काश मुट्ठी में क़ैद किया होता 
साजन को जाने न दिया होता !!
सागर से गहरा है ये रिश्ता 
दूर रहो या पास रहो 
सदा रहोगे दिल के क़रीब !!
याद तुम्हारी आती है 
मन को बहुत हुलसाती है 
याद दिलाती सुहाने पलों की !!
समय चलता जाता 
हर पल में खोता जाता !!
हर पल की एक कहानी है 
जो बीत गई सो बीत गई 
फिर नहीं आनी जानी है !!
हर पल को जी लो 
मधुर यादों सें भर लो 
सुहाने पल रह जायेगे 
सदा वो याद आयेंगे !!
तुमको गुदगुदायेंगे!
सुहाना पल समझाता है !!
समय से सीख लो , 
भरपूर जीवन जी लो !!
व्यर्थ न गवाओं , सुहाने पल को 
हर एक पल सुहाना है 
हर एक पल अनमोल है !!
पल पल की किमत पहचानों
सुहाने पलो को आँखों में भर लो 
मुट्ठी में क़ैद कर लो 
सुहाने पलो को , 

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई



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