बच्चों में संस्कार के भाव जगाने वाली सुकोमल भावों से परिपूर्ण सहज सरल मनोरंजक कविताओं की कृति : सपन मासूम नयनों के (बालकविता सँग्रह) रचनाकार -कांति शुक्ला
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जी हां यह एक कटु सत्य है कि आज के बच्चे पहले जैसे भोले-भाले आम बच्चे नहीं रहे ,आज सूचना प्रोद्योगिकी के प्रबल तंत्र की कृपा से बच्चे समय से पहले प्रौढ़ और उम्र से आगे का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं ,वे आज प्रायः अपने दादा-दादी अथवा नाना-नानी से यह कहते हुए पाए जाते हैं -'क्या दादा जी आपको इतनी सी बात भी पता नहीं |' अब घर में मां अथवा दादी बच्चों लो लोरी नहीं सुनाती बल्कि दो से तीन साल की उम्र के बच्चों के हाथ में भी आधुनिक मोबाइल सेट हैं जिनसे वे खेल रहे हैं ,साथ ही बचपन से ही बढ़ते हुए पढ़ाई के बोझ और ,आगे बढ़ने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा ने बच्चों का बचाखुचा बचपन भी छीन लिया है,परिणाम स्वरूप अब दादा-दादी की गोद में बच्चों द्वारा बैठ कर किस्से कहानी सुनने के दिन लद गए ,ऐंसे दुष्कर समय में बच्चों को बाल साहित्य से जोड़ना कोई सहज कार्य नहीं |
इन सब बातों का यह कतई आशय नहीं है कि सब कुछ खत्म हो चुका है ,और हम निराश होकर हाथ पर हाथ धरे बैठ जाएं | हमें समय और बच्चों की रुचि और ज़रूरत के अनुसार स्वयम को बदलना होगा | इंटरनेट और कम्प्यूटर की दुनिया चाहे जितना आगे बढ़कर हमारे घरों में पहुंच जाए परन्तु संवेदना और अपनेपन के स्तर पर यह यंत्र कभी मनुष्य की जगह नहीं ले सकते | आज बच्चों के लिए सृजन करने वाले रचनाकारों का दायित्व पहले से अधिक बढ़ गया है ,आज का बच्चा पहले से अधिक वैज्ञानिक और तर्क सम्मत हो गया है आप उसे छोटा बच्चा समझ कर बहला फुसला नहीं सकते |
ऐंसी ही कठिन चुनौती को स्वीकार किया है वरिष्ठ साहित्यकार कांति शुक्ला जी ने अपनी सद्य प्रकाशित बालकविता की कृति 'सपन मासूम नयन के ' में इस कृति में हर आयु वर्ग के बच्चों की रचनाएं शिशु,बाल,किशोर,युवा सम्मिलित हैं साथ ही इनमें बच्चों के लिए विधा के स्तर पर भी विविधता है यानी गीत ,कविता,दोहे आपको बालकविता का हर रंग मिलेगा | गीत ग़ज़ल कविता कहानी लेखन में आप देश के सुपरिचित रचनाकार हैं इन सभी विधाओं में आपकी कृतियाँ प्रकाशित होकर पाठकों के मध्य प्रसंशा पा चुकी है | साथ ही बाल साहित्य में 'मुनमुन चिड़िया' और 'कान्हा वन' (बाल कविता संग्रह) पूर्व में प्रकाशित हो चुके हैं |
आकाशवाणी और दूरदर्शन के विविध केंद्रों से नियमित आपकी रचनाओं का पाठ होता रहता है अनेक सम्मानों पुरस्कारों से विभूषित कांति जी बच्चों के मनोविज्ञान को गहराई से समझती हैं उन्हें कविता के छंदशास्त्र की जानकारी है इस कृति की कविताओं में प्रवेश के पूर्व उनका समर्पण देखिये--
बड़ा सजीला है सरल,बच्चों का संसार,
नहीं द्वेष छल कपट कुछ,सहज बड़ा व्यवहार,
प्रेम मान शिक्षा प्रगति,बच्चों के अधिकार,
करूँ समर्पित काव्य का, तुमको मैं उपहार |
इसी कृति के प्रारम्भ में वे अपनी बात में लिखती हैं ' भौतिकतावाद,यांत्रिकता और पाश्चात्य सँस्कृति के दवाब ने बच्चों के कोमल संवेदना पर प्रभाव डाला है आज बच्चों।की सहज जिज्ञासा और संशय को शांत करने के लिए अभिवावकों के पास अपनी व्यस्तताओं के चलते समय की कमी है,निश्छल जीवन बाधित हुआ है कुंठाएं और विद्रोह पनपा है ऐंसे में अच्छा बालसाहित्य बच्चों को फिर से उनका सुमधुर बचपन लौटा सकता है |'
आइये कृति की कुछ कविताओं पर दृष्टि डालें | राष्ट्र-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत कविता का एक छंद --"आसान तो होती नहीं , राहें कभी बलिदान की | वो।लोग ही कुछ और हैं, करते न चिंता जान की |' हमारे राष्ट्रीय झंडे को लेकर वे लिखती हैं --" जगत के पट पर दमकता ,अहिंसा की ढाल लेकर | तिरंगा शास्वत चमकता,उज्जवलित निज भाल लेकर |' पुस्तक की महिमा का वर्णन -" काम-काज से फुर्सत पाकर पढ़ना रोज किताब, अनपढ़ रहकर न करना खुद हस्ती को बर्बाद | फिर इन कविताओं में देश के त्यौहार हैं ,राष्ट्रीय पर्व हैं सभी ऋतुओं का मनोहारी चित्रण है वसन्त,शिशिर,ग्रीष्म ,हेमंत,शरद ,पावस ,|
प्रकृति और पर्यावरण की कविता जंगल का एक अंश देखें --" घना घना जंगल,हरा भरा जंगल ,विशाल वृक्ष झूमते ऊंचाइयों को चूमते |'इसमें चांदनी रात पर कविता है, राष्ट्रीय उद्यान कान्हा वन पर कविता है इसके साथ ही 'मौलसिरी' ,' गुलमोहर' ',चिड़िया' 'तोता', 'जुगनू' ,आदि अनेक विषयों पर मनोहारी कविताएं हैं | वे शीर्षक कविता 'सपन मासूम नैनों के ' में लिखती हैं --"कभी मत तोड़ना इनको ,सपन मासूम नैनों के | सँवारों प्यार से इनको ,सपन मासूम नयनों के || पुस्तक का आवरण बहुरंगी और मनोहारी है ,सम्पूर्ण पुस्तक मोटे ग्लेज्ड कागज पर प्रभावी ढंग से सुंदर आकर्षक चित्रों के साथ मुद्रित है यह पुस्तक निश्चित बच्चों के साथ प्रौढ पाठकों के मन को भी भायेगी बालसाहित्य को समृद्ध करने वाली इस कृति के लिए कांति जी और "अपना प्रकाशन" की निदेशक कांता राय को भी बहुत बहुत बधाई |
पुस्तक -सपन मासूम नैनों के (बालकविता सँग्रह)
रचनाकार -कांति शुक्ला 'उर्मि'
पृष्ठ-85 मूल्य -300₹
प्रकाशक-अपना प्रकाशन ,भोपाल
समीक्षा - घनश्याम मैथिल 'अमृत' भोपाल
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