नेहा जल्दी जल्दी काम को समेट रही थी,उसे स्कूल जो पहूचना था । देर नहीं करना चाह रही थी पर काम के कारण देर हो रही थी। आज से बच्चों की परीक्षाएं चालू हो रही थी । उसकी नज़रें घड़ी की सुइयों पर थी और हाथ काम को समेटने में लगे थे । तभी उसका छोटा बेटा वरुण भागता हुआ आया और बोला - माँ जरा दादी के लिये गर्मा गर्म चाय बना दो, और थर्मल में भी एक कप रख दो , और मुझे बाम की शीशी दे दो मैं लगा देता हूँ दादी को ।उनके सर में दर्द हो रहा है। मां तुम कहती हो न, चाय से सर दर्द में आराम मिलता है।बाम लगाने से दर्द भाग जाता है ! नेहा बोली- बेटा मुझे देर हो रही है, दादी को कहना वो बना ले मुझे तैयार होना है। मुझे पहले ही काफी देर हो गई है.माँ के मुँह से ऐसी बात सुनकर...
वरुण कुछ देर सोचता रहा फिर उस से बोले बिना नहीं रहा गया....”तो वह बोला माँ सबको ज्ञान बहुत देती हो स्कूल में बड़ों की सेवा करना चाहिये । उन्हें कभी तकलीफ़ नहीं देनी चाहिए। उनकी सेवा से पुण्य मिलता है ।बुज़ुर्गों की आत्मा दुखाने से भगवान नाराज होते है ”।
माँ आप ज्ञान जो हमको देती हो, उस पर आप भी कभी अमल कर लिया करो ! बेटे के मुँह से ऐसी बात सुनकर नेहा एक क्षण के लिए स्तब्ध रह गयी और अगले क्षण बिना कुछ कहे पल्लू को कमर में खोंसते हुए तेजी से रसोई की ओर बढ़ गयी।
मन ही मन वह फ़ैसला ले चुकी थी की आज के बाद में ऐसी कोई बात नहीं करुगी जिससे वरुण पर ग़लत असर हो । उसे ग़लत संस्कार मिले।वह चाय के उबलते पानी के साथ अपने फ़ैसले को मज़बूत कर रही थी । और स्कूल में फ़ोन कर कहाँ जरुरी काम से मुझे एक घंटा लेट हो जायेगा पर मैं आऊँगी जरुर ।
फ़ैसला पक्का करने के बाद वह माँजी के पास जाकर चाय दी बाम सर पर लगाने लगी माँ जी ने बहुत मना किया पर नेहा नहीं मानी तो वरुण दादी लगवा लो दर्द ग़ायब हो जायेगा माँ बहुत अच्छा सर दबाती है । कुछ देर बात नेहा बोली माँ जी मैं स्कूल जा रही हूँ शाम को आते समय आपके लिए दवा लेती आऊँगी..माँ जी नहीं बहू अब ठीक हो गया तेरे हाथ लगते ही आराम आ गया , तुम आराम से जाओ घर की चिंता न करना माँ सम्भाल लूँगा नेहा ने वरुण की तरफ़ देखा ,वह बड़ा ख़ुश नज़र आ रहा था
बहार आ कर माँ से लिपट गया और बोला माँ आप सबसे प्यारी माँ हो नेहा को आज से ज़्यादा ख़ुशी कभी नहीं मिली , वह अपने फ़ैसले पर आज गर्वित थी ।
डॉ अलका पाण्डेय - मौलिक
9920899214
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