ग़ज़ल-बलजीत

 


नींद में इक हादिसे से बेख़बर
देख पाएंगे कहाँ कल की सहर


ज़ुल्म तेरे आ गए क्या राह में
सब दुआएं जा रहीं क्यों बेअसर


था यक़ीनन टावरों के पास वो
जिस परिंदे के गए हैं पर उतर


ये जहां महबूब से खाली नहीं
क्या हुआ इक बेवफ़ा निकला अगर


 बलजीत सिंह बेनाम
  हिसार(हरियाणा)
मोबाईल नंबर:9996266210



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