हास्य स्वास्थ्य पर चमत्कारिक प्रभाव-मीरा द्विवेदी

 

विता और रीमा बचपन की सहेलियाँ थीं।दोनों ही जबरदस्त बिंदास व हँसमुख थीं।खूब निभती थी दोनों में।समय बीता,दोनों का विवाह हो गया।जाहिर है कि दूरियाँ आ गईं।उस समय फोन आदि की सुविधा नहीं थी।कुछ दिनों तक तो पत्राचार द्वारा एक-दूसरे के हाल-चाल मिलते रहे,फिर ।समय के साथ बच्चे हुए। परिवार व बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेवारी बढ़ी,तो पत्राचार भी बंद हो गया।करीब  40वर्ष बीत गये।अब फोन आदि की सुविधा उपलब्ध थी।इधर बच्चे भी बड़े हो गए, अपने-अपने परिवार में व्यस्त हो गए।कविता ने बच्चों के माध्यम से फेसबुक द्वारा रीमा को खोज लिया।फोन पर बातचीत शुरू हुई।पुरानी सखी पाकर रीमा बहुत खुश हुई, पर ये खुशी कुछ पल की ही थी।वह बात करते-करते उदास हो रोने लगी।

कविता परेशान हो गई, पूँछने पर पता चला कि एक दुर्घटना में रीमा के पति का देहांत हो गया।एक बेटा-बहु है वो साथ नही रहते।न ही रीमा से कोई वास्ता रखते हैं।इस वजह से रीमा बिल्कुल टूट गई थी।इधर कविता उसी तरह बिंदास, हँसमुख थी।उसका दाम्पत्य जीवन पूर्ण रूप से खुशहाल था।बच्चे भी बहुत सम्मान करते थे।

एक दिन कविता ने रीमा से मिलने का मन बनाया और बेटे के साथ रीमा के पास पहुँच गई।40वर्षों बाद दोनों का आमना-सामना हुआ। ये क्या? कविता एकदम चकरा गई।घर की घंटी बजाने पर जो महिला निकली, उसके सारे बाल सफेद, झुर्रियों से भरा चेहरा, मोटे ग्लास का चश्मा, झुकी हुई कमर और पीला निस्तेज रंग। रीमा,ये तुम्हें क्या हो गया? क्या बताऊँ कविता...पति के जाते ही बेटा-बहु पराये हो गए।न कभी आते हैं न ही कभी कोई खबर लेते हैं।जीवन के सब रंग पति के साथ ही चले गये।हँसी तो अब जैसे बीते जमाने की बात हो।   इधर कविता में कोई फर्क नही आया था, सिर्फ हल्की सी उम्र की रेखाएं झलकती थीं।वो भी बेजोड़ हँसी के सामने नतमस्तक  थीं।  इन दोनों सखियों को देखकर यह कहना उचित होगा कि एक ही उम्र की सखियों में,जीवन से हँसी, ठहाका का पन्ना फट जाने से शारीरिक संरचना में इतना अंतर आ गया था।

      उचित कहा गया है कि- "हास्य स्वास्थ्य पर चमत्कारिक प्रभाव "डालता है। हँसते रहने से सारी माँसपेशियाँ क्रियाशील रहती हैं।तनाव दूर भागता है।सकारात्मक सोच बलवती होती आ।अतः यह कहना तर्कसंगत सिद्ध है कि- 

"हास्य स्वास्थ्य पर चमत्कारिक प्रभाव डालता है।

          

 

स्वरचित-मीरा द्विवेदी"वर्षा"

हरदोई, उत्तर प्रदेश।

 


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