मैं आईना हूं-उपेन्‍द्र अजनबी


मैं आईना हूं।
टूटना मेरा मजबूरी है। 
मेरा पत्थरों से कोई 
शिकवा शिकायत नहीं 
यह तो मेरी किस्मत में ही 
लिखा है ।
कि  हमें एक न एक दिन 
टूटना है ।
किसी ने हमारे साथ 
वक्त गुजारने के लिए 
अपना बनाया तो है ।
लेकिन वह भी हमें अपना 
बनाकर मेरे साथ 
वक्त गुजार लिया है ।


मैं आईना हूं ।
देख लो हमें अपनी 
भरी नजरों से 
अपनी खूबसूरती को 
निहार लो ,सवार लो ,
सजा लो , मेरा क्या 
मैं तो इसी तरह 
एक जगह पर पड़ा हूं।
 
मैं आईना हूं ।
देखने वाले हमको 
गौर से देखा करो 
मैं खुद अपनी 
तस्वीर से ही जुदा हूं ।
लोग हमें कुछ भी कहे 
लेकिन मैं समझता हूं। 
कि मैं क्या चीज हूं 
पूछता हूं ।
मैं अपना पता खुद से 
मैं कई मुद्दतों से लापता हूं ।
अपनी ही रूप से 
मैं आईना में नहीं हूं ।
मौजूद 
मैं अपनी ही रूप के 
किरदार से गायब हूं ।


मैं आईना हूं ।
मैं एक उम्मीद का दिया हूं ।
मेरी कहानी का सच 
किसी के समझ में 
नहीं आएगा ।
लेकिन मैं  भी किसी से 
बेइंतहा प्यार करता हूं ।
मैं आईना हूं ‌।


उपेंद्र अजनबी सेवराई
गाजीपुर उत्तर प्रदेश।
7985797683


 



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