ओजोन परत का क्षय : कारण , प्रभाव और निदान-शिल्‍पा

ओजोन परत का क्षय : कारण , प्रभाव और निदान

 

वैसे तो ईश्वर ने हमारे लिए बिना किसी शर्त के अनगिनत वस्तुएं प्रदान किए हैं परंतु इंसान कि कुछ गलत आदतों या उपयोग के कारण हमारी प्रकृति लगातार विनाश की ओर बढ़ रही है । कुदरत ने हमारे वायुमंडल मे  स्थित ओजोन पर्त को भूमंडल पर आते हुए हमें सुरक्षित वायु देने का विधान बनाया है यह हमारे सुरक्षा कवच का काम करती है और सूरज से निकलने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को वायुमंडल में ही रोक लेती हैं ताकि हर मनुष्य वनस्पति जीव जीव जंतु इससे सुरक्षित रहे।ओजोन गैस अगर पराबैंगनी किरणों को ना रोके तो इसके दुष्प्रभाव पूरी मानव जाति के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं जैसे :

1. मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को यह कम करती है जिससे वह कई संक्रामक रोगों की चपेट में आ सकता है।

2. मनुष्य को आंखों की मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारी और वह अंधा भी हो सकता है।

3. यह मनुष्य और पशु पक्षियों की डीएनए सरंचना पर भी प्रभाव डालती है।

4.गर्भस्थ शिशु के लिए भी यह हानिकारक सिद्ध होती है ।

इसका निदान कई देश लगातार करने में जुटे हुए हैं जलवायु में परिवर्तन को लेकर भी सभी देशों की चिंता बनी हुई है 16 दिसंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है ।यही नहीं ओजोन छिद्र जो गंभीर रूप लेता जा रहा है कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में 33 देशों ने एक साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर इसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का रूप भी दिया है। इसमें यह तय किया गया है कि ओजोन परत क्लोरो क्लोरो कार्बन नामक पदार्थ से खत्म होती जा रही है इसका उपयोग अब सभी देश सीमित ही करेंगे और सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा भारत भी इसमें शामिल है जो कि हमारे लिए बड़ी गौरव पूर्ण बात है तो यह निश्चित है कि जल्द ही हम सब ओजोन परत को अपने उसी रूप में वापस ला पाएंगे जैसा प्रकृति ने उसे हमें दिया है।

 

शिल्पा अरोड़ा 

विदिशा

 


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