आज घर में बहुत उदासी थी। क्योंकि लड़के की चाहत में आज फिर पांचवी लड़की हो गई । सुधा की सास अजीब सा चेहरा बनाएं चौखट पर बैठी थी।लड़के की चाहत में आज पांचवी लड़की सुधा के गर्भ से उत्पन्न हुई। लेकिन क्या किया जाए भगवान को कुछ और मंजूर था ।बेटे की चाहत में अपने शरीर को गंवाने वाली सुधा जब पांचवी बार लड़की होने की सूचना सुनी तो उसका धैर्य टूट गया । वह अपने सास को कोसने लगी कि इन्हीं की वजह से आज मेरे पांच पांच लड़कियां है । अब मैं यह फैसला कर लिया है कि मैं आज अपनी सास की बात ना मानती तो आज बेटे की चाहत में इतनी मजबूर न होती ।बेटे की चाहत में आज पांच पांच लड़कियों का मुंह देखना पड़ रहा है । इस दहेज दानव रूपी समाज में अपनी लड़कियों की शादी कैसे करूंगी ।
अब मैं क्या करूं मैंने फैसला ले लिया है कि मैं अपनी नसबंदी कराऊंगी। अब मैं मानने वाली नहीं हूं। ना अपने परिवार की बात ना अपने सास की बात ना अपने पति की बात ना ससुर की बात अब मैंने फैसला कर लिया कि अब नसबंदी कराना है तो कराना है। जो भगवान की इच्छा हुई वही हुआ । अब मैं क्या कर सकती हूं।
उपेंद्र अजनबी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
7985797683
0 टिप्पणियाँ