फैशन -शिल्पा अरोड़ा

 


तेज रफ्तार जमाने के साथ नित्य अपने रंग रंग बदलना ,जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को निरंतर परिवर्तित करना ,रूढ़िवादी विचारों को त्याग कर नई तार्किक सोच अपनाना,या फिर हेयर स्टाइल, चाल ढाल और वेशभूषा से ऊपर उठ कर अपने आंतरिक गुणों को विकसित करके व्यक्तित्व में निखार लाना फैशन है।
और फैशन जीवन के लिए कुछ हद तक अनिवार्य भी है 'पिछड़े' कहला कर कुंठा ग्रस्त होने से तो बेहतर है की जमाने के साथ चला जाए। फैशन व्यक्तित्व में निखार लाता है। यह जीवन को गति एवं दिशा प्रदान करता है। परंतु होता यह है कि कोरी नकल के चक्कर में उलझ कर युवा पीढ़ी अपने सांस्कृतिक मूल्यों को भूल जाती है।
फैशन के प्रति एक तरफा आकर्षण शिक्षा मैं निश्चित रूप से बाधा उत्पन्न करता है। यही कारण है कुछ युवा पढ़ाई लिखाई में बिछड़ जाते हैं आजकल सोशल मीडिया भी युवाओं को फैशन की तरफ आकर्षित करने में पीछे नहीं है अब युवाओं को फैशन पता करने के लिए बाजार जाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है । सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है।
फैशन व्यक्तित्व का दर्पण है परंतु इसका यह कतई मतलब नहीं कि हम शिष्टाचार की सीमाओं को लांग जाएं और अपनी संस्कृति को भूल जाएं हम चाहे कितना भी बाहरी आडंबर क्यों ना कर ले आधुनिकता नंगी दौड़ में शामिल होना तो कदाचित बुरा ही माना जाएगा।फैशन जीवन में उमंग भरता है और अपनी संस्कृति को ध्यान में रखते हुए हमें अपने व्यक्तित्व से मेल खाता फैशन ही करना चाहिए।


शिल्पा अरोड़ा विदिशा मध्य प्रदेश



 


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