' यस्मिन् मासे न संक्रांति: संक्रान्तिद्वयमेव वा।
मलमास से विज्ञेयो मासे त्रिंशत्तमे भवेत्।।'
पुरुषोत्तम मास या अधिमास या मलमास तीनों एक ही का नाम है। जिस महीने में सूर्य की संक्रांति न हो वह महीना अधिमास होता है और जिसमें दो माह हो वह क्षय मास होता है। ज्योतिष शास्त्र में चार प्रकार के मास बतलाए गये हैं-
चंद्रमास, सौरमास, नाक्षत्रमास और सावन मास। धार्मिक कृत्यों में चंद्रमास और सूर्यमास की विशेष प्रधानता है। अधिमास या मलमास 32 माह, 16 दिन और 4 घड़ी के अंतर से आया करता है और क्षयमास 141वर्ष पीछे और उसके बाद 19 वर्ष पीछे आता है।क्षयमास कार्तिकादि तीन महीनों में से होता है। लोक व्यवहार में अधिमास को 'अधिकमास ', 'मलमास' , ' ' 'मलिम्लुचमास' और पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है।
सनातन धर्म में वर्ष चैत्र मास से प्रारंभ होता है। बारह महीनों के बारह नाम के सूर्य हैं - वरुण,सूर्य,भानु,तपन,चण्ड,रवि,गभस्ति,अर्यमा,हिरण्यरेता,दिवाकर, मित्र और विष्णु। अधिकमास या मलमास के हिस्से में कोई सूर्य नहीं हैं , इसलिए यह मलिम्लुच मास कहलाता है। फल प्राप्ति की आशा से किए जाने वाले सभी शुभकार्य वर्जित हैं। मलमास में निम्न कार्य नहीं करने चाहिए-
कुआं, बावली, तालाब, बाग- बगीचे का आरंभ और प्रतिष्ठा,किसी भी प्रकार के व्रतों का आरंभ और समापन,विवाह, नवविवाहिता वधू का प्रवेश, महादान, गृहारंभ और गृहप्रवेश, अष्टकाश्राद्ध,गोदान,उपाकर्म, वेदव्रत,बालकों के नियतिकाल वाले संस्कार, देव प्रतिष्ठा,गुरुदीक्षा, उपनयन संस्कार, मुंडन,संन्यास,प्रथमयात्रा इत्यादि।
मलमास में किए जाने वाले कार्य -ग्रहादि से उत्पन्न पीड़ा हेतु शिवोपासना,जप, ग्रहण संबंधित श्राद्ध, दान, पुत्र- जन्म के कृत्य,पितृमरण के श्राद्धादि, गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्नतोन्नयन जैसे संस्कार, मूल शांति इत्यादि।
इस मास में केवल ईश्वर के उद्देश्य से जो व्रत , उपवास,स्नान, दान या पूजनादि किए जाते हैं, उनका फल अक्षय होता है और व्रती के संपूर्ण अनिष्ट नाश होते हैं। मलमास में दिया हुआ दान अधिक फल देता है।
इस वर्ष पुरुषोत्तम मास या मलमास का प्रारंभ शुक्रवार, दिनांक 18 सितंबर सन् 2020 ई० से प्रारंभ हो रहा है और 16 अक्टूबर सन् 2020 ई० तक रहेगा। 17 अक्टूबर सन् 2020 ई० से आश्विन शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ होगा , यही शारदीय नवरात्र का प्रथम दिन होगा। इसके पूर्व वि० संवत् 2039 में अर्थात् सन् 1982 ई० में मलमास इसी तरह पड़ा था।
संकंलन-सत्या उपाध्याय गहमर गाजीपुर
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