रेखा की मनमानी -अजनबी

 


गांव में  एक संयुक्त परिवार रहता था ।  ऊंचा खानदान सुंदर स्वभाव, इज्जतदार घराना था।सब मिलजुलकर प्रेम से एक साथ रहा करते थे। लेकिन सबका दिमाग अलग अलग था। उसी में एक रेखा नाम की औरत थी।जो रेखा भाभी के नाम से मशहूर थी। उनकी एक बेटी थी । और एक बेटा , बेटी बड़ी थी। और बेटा छोटा था। बेटी की शादी का दिन रख दिया गया था। और धीरे-धीरे सारी तैयारियां हो रही थी। लेकिन जो रेखा भाभी थी यह चाहती थी कि मैं अपनी बेटी को क्या दे दे दहेज मे लेकिन संयुक्त परिवार में सबको साथ लेकर चलना पड़ता है। 
वह केवल अपनी मनमानी करवाना चाहती थी । लेकिन सभी का उस में सहयोग रहता है। तो अच्छा रहता है। रेखा भाभी यह चाहती थी, कि जो मैं कहूं वही हो , लेकिन ऐसा कहां हो सकता है। वह केवल अपनी मनमानी करना जानती थी । कि शादी में जो मैं कहूं वही हो। मेरी बेटी की शादी में यह दिया जाएगा वह दिया जाएगा । लेकिन घर के लोग सभी परेशान थे। कि क्या किया जाए कैसे किया जाए रेखा भाभी चाहती थी कि मेरी बेटी जब ससुराल जाय तो कोई उसे ताना ना मारे ना कुछ उसके बारे में कुछ बोले तुम्हारे घर वाले दहेज में कुछ नहीं दिए वह अपनी बेज्जती नहीं कराना चाहती थी।


लेकिन संयुक्त परिवार में सब कुछ सहना पड़ता है। देखना पड़ता है। कि किसी को बुरा ना लगे एक जलन की भावना एक दूसरे से हो जाती है। कि उनकी लड़की को इतना सामान दिया गया मेरे लड़की को क्यों नहीं दिया गया। बहुत सी तमाम बातें हैं । जो एक संयुक्त परिवार में आती है।लेकिन रेखा भाभी की जीद के आगे किसी का बस नहीं चलता वह जैसा कहती वैसे लोग करते वो केवल अपनी मनमानी करती,  कि नहीं होगा तो होगा।ऐसा नहीं होना चाहिए सबको साथ लेकर चलना चाहिए। 
लेकिन क्या किया जाए आदमी के दिमाग नहीं रहता है। कि मेरा पति इतना कमाता है तो मैं इतना खर्चा करूगी। बहुत सी तमाम बातें सामने आती है। लेकिन मेरे हिसाब से ऐसा नहीं करना चाहिए सभी की बात सुननी चाहिए। समझनी चाहिए, उसके बाद करनी चाहिए केवल अपनी मनमानी करने से काम नहीं चलता है।


उपेंद्र अजनबी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
7985797683


 



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