संस्मरण उपेन्‍द्र अजनबी- हमारे जमाने में 

 


हमारे जमाने में तो बहुत सी ऐसी उतार-चढ़ाव आए फिर भी इस जमाने से हमारा जमाना कहीं अच्छा था। इस जमाने को लेकर चले तो बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ।बहुत सी इस जमाने में घटनाएं आई ग‌ई‌। क्या क्या हुआ बहुत सी आपदा आई।लेकिन आज से 25 बरस पहले हम लोग सुकून से जिंदगी जी रहे थे ।इतनी भागदौड़ की जिंदगी नहीं थी । इस जमाने में तो हर एक आदमी को कमाना अनिवार्य हो गया है ।बच्चों की पढ़ाई महगी ,समान महंगा ,खाद्य पदार्थ महगा आखिर कहां से लोग अपना परिवार का गुजारा कर पाएंगे ।बहुत सी समस्या है इस जमाने में हम लोगों के जमाने में बहुत सुकून की जिंदगी थी ।और हम लोग सुकून से जी रहे थे। आजकल कोई भी खेल बच्चों से दूर ही रहा ना दौड़ना ना खेलना कोई खेल उस समय हम लोग से कोई खेल अछूता नहीं था।गुल्ली डंडा , चिक्का , लटटू, गोली, लुकाछिपी भाग दौड़ की खेल खेला करते थे। और आज इस समय मोबाइल के जमाना है। मोबाइल के जमाने में आजकल के नौनिहाल बच्चे केवल गेम  खेलते रहते हैं । पिक्चर देखते हैं। गाना सुनते हैं। अब वह समय कहा था जब हम लोगों के मनोरंजन का साधन रामलीला और नाटक था । लेकिन आज के जमाने में बहुत सी कुछ बदल गई है ।बस एक छोटे से उपकरण में सिमट कर रह गई है। 
कोई भी गेम हो सब उसी में अपना मन लगाए रहते हैं। आखिर इस नौनिहालों का भविष्य क्या होगा यह भगवान ही जाने कोई खेल आज के बच्चों में नहीं रह गया है। कि अपना शारीरिक विकास कर सके बस सोना, खाना, पीना ,रहना यही सब उनकी दिनचर्या बन गई है। पहले के लोग मिलनसार थे किसी के घर आना जाना सुख दुख में साथ देना सब लगा रहता था। लेकिन अब लोग परिवार बढ़ने के वजह से सब लोग अलग-थलग बस अपना जीवन यापन कर रहे हैं । कोई किसी से मतलब नहीं रखता ना किसी के दरवाजे पर लोग जाते हैं। ना आते हैं पूरा तीज त्यौहार सब खत्म ना कोई दशहरा में मिलने जाता है ना होली मिलन होता है। होली की परंपरा भी खत्म हो चुकी है। धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है। इस जमाने और उस जमाने में बहुत से अंतर है । फिर भी इस जमाने से हम लोगों का जमाना अच्छा था । आज कोई किसी से मतलब नहीं रखता। सब अपने कमाने खाने पीने के चक्कर में लगे रहते हैं। कब किसी का हड़प ले , छीन ले   ऐसी समस्या पहले नहीं था जो आज है । अपने जमाने में सब लोग बहुत प्रेमी मिलनसार रहते थे । एक दूसरे के सुख दुख में साथ देने वाले थे।


लेकिन आज के जमाने में बस अपनी चिंता रहती है। कोई कहीं   भाड़ में जाए उसे लेना देना नहीं रहता है। इसलिए इस जमाने से हम लोगों का जमाना अच्छा था जो गुजर गया। अब फिर लौट के आने वाला नहीं है। इसी जमाने के समयानुसार हम लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। चल रहे हैं। जैसी भगवान की मर्जी।।


उपेंद्र अजनबी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
7985797683


 



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