विषय - शिक्षक दिवस विशेष
दिनाँक - 05/09/2020
गुरु ले जाता है अंधकार से प्रकाश की ओर,
गुरु -दीप से प्रकाशित है विद्यार्थी चहुँओर।
ज्ञान का भंडार गुरु, ईष्ट का अवतार है,
गुरु बिन संभव नहीं ज्ञान की अलौकिक भोर।
माता-पिता है प्रथम गुरु जिन्होंने जीवन किया प्रदान,
इनका आशीर्वाद बालक के लिए है अद्भुत वरदान,
माँ-बाप की सीख जीवन में सबसे अमूल्य है,
प्रत्येक समस्या का है इनके पास समाधान।
शिष्य है कच्ची माटी, गुरु होता है कुंभकार,
गुरु प्रयासों से मिट्टी प्राप्त करती सुंदर आकार,
जो शिष्य के आंतरिक गुणों को तराशता है,
गुरु होता है शिष्य हेतु उत्कृष्ट स्वर्णकार।
असंभव है करना गुरु महिमा का बखान,
ज्यों असंभव है स्पर्श करना मनुज हेतु आसमान,
गुरु होता है शिष्य के उज्जवल भविष्य का निर्माता,
जीवन में सदैव करें गुरुओं का सम्मान।
प्रकृति के संरक्षण से ही जीवित है इंसान,
सीख देतीं प्रकृति माँ,हमें गुरु के ही समान,
वृक्ष, वायु,वन,बरखा सब देते सीख निराली,
अपने सद्गुणों से जग को कर दो दीप्तिमान।
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
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