शिक्षक दिवस विशेष
शिक्षक संदेश
कहाँ गुम हो गए, विद्यार्थियों के वह मौलिक चिंतन प्रखर प्रश्न और रचनात्मक सोच?क्या पुस्तकों में छपा हुआ शब्द ही ब्रह्म सत्य होता है? जाने अनजाने हम पूरी शिक्षक और विद्यार्थी जाति ; उस कँटीली प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं,जिसकी अंतिम परिणति है सर्वोच्च अंक!! एकता, सद्भावना, संस्कार, सहिष्णुता और सौहार्द्र जैसे सुसंस्कृत शब्दों से सँवरे इस देश का कैसा भाग्य? जहाँ स्वतंत्र व्यक्ति का निर्माण और विकास सिर्फ उसके जीतने की दक्षता से है। मेरे नौनिहालों!!आप उस युग में जी रहे हैं; जहाँ जीवन जीने के आयाम और स्रोतों की प्रचुरता है। प्रतिस्पर्धा की इस प्रक्रिया में यह कभी मत भूल जाना कि महत्त्वपूर्ण सफलता नहीं; बल्कि वह सत्पथ है, जिस पर आप चल कर अपने मुकाम हासिल करते हो। मेरे शिक्षिका होने का अस्तित्व आप के संस्कारों और समृद्ध सोच पर टिका है। आपकी साधना और उसके प्रति जागरूकता ही मेरे अध्यापन की प्रेरणा है। आपका स्नेह और सम्मान मेरे अंतर्मन के विश्वास को मजबूती प्रदान करता है। यह वक्त हमारा नहीं; आपका है। तो जागें और सँभालें वक्त की बागडोर को!! कल का सूरज आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
बबिता सिंह शिक्षिका हाजीपुर वैशाली बिहार
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