सुनहरे पल -अजनबी

 


याद आता है। 
वह बचपन सुहाना 
रोज-रोज चॉकलेट के लिए
जिद कर जाना 
डांट पड़ने पर मां के 
आंचल में छुप जाना 
खेल खेल में दोस्तों के 
साथ लड़ना झगड़ना 
बस यादों की तन्हाई में 
छिप जाना।
मेरा बचपन दोस्तों के 
साथ बिताये हर पल 
याद आता है ।
कोई रोता कोई हंसता 
कोई रूठ कर दूर 
चला जाता है ।
वह बचपन का जमाना 
कितना मासूम था ।
दो पल पल का झगड़ना 
दो पल में मान जाना 
कभी सोचा ना था 
कि ऐसा पल कभी 
आएगा ।
एक क्षण में सारे सुनहरे पल 
को तोड़ जाएगा ।
पुरानी यादों को कैसे 
भुला पाऊंगा 
मां की लोरी ना पापा का संग बहुत याद आते हैं 
बचपन का उमंग ।
खेल खिलौना गुड्डे गुड़ियों के मेल शादी विवाह रचाना 
एक दूसरे का शादी कराना 
गीत गाना ।
कभी रोना कभी मुस्कुराना 
पुरानी यादों के साथ
दिन बीत जाना ।
किसी दोस्त से 
मुलाकात 
हो या ना हो 
बस आंखों में 
बस जाना।


उपेंद्र अजनबी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
7985797683


 



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