तत्कालीन परिस्थितियों में रोजगार की उपलब्धता-अलका

 


वर्तमान समय में जहां कोरोना वायरस की महामारी से पूरा विश्व थम सा गया है, वहीं रोजगार सहित अनेक समस्याएं उभरकर सामने आ रही है। आखिर ऐसी स्थिति में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना  कठिन हो गया है । कोरोना वायरस के प्रसार के साथ ही लगभग हर हफ्ते किसी न किसी क्षेत्र से हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने, वेतन में भारी कटौती की खबरें आ रही हैं.माल्स, रेस्तरां, बार, होटल सब बंद हैं, विमान सेवाओं और अन्य आवाजही के साधनों पर रोक लगी हुई है. फ़ैक्टरियां, कारखाने सभी ठप पड़े हैं.ऐसे में संस्थान लगातार लोगों की छंटनी कर रहे हैं और हर कोई इसी डर के साये में जी रहा है कि न जाने कब उसकी नौकरी चली जाए.
इसके अलावा स्वरोजगार में लगे लोग, छोटे-मोटे काम धंधे करके परिवार चलाने वाले लोग सभी घर में बैठे हैं और उनकी आमदनी का कोई स्रोत नहीं है.कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान अपने गाँव वापस लौटे मजदूरों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की योजना बनायी जाए। सभी विभाग आपसी समन्वय व सामन्जस्य से कार्ययोजना को मूर्त रूप दें, जिससे अपने घर वापस आए मजदूरों को रोजगार मिले और क्षेत्र में खुशहाली और विकास की नई राह बने।मनरेगा लागू होने के समय से ही मनरेगा, देश के सबसे बड़े रोजगार सृजन कार्यक्रमों में से एक है। कार्यक्रम को ग्रामीण लोगों के पलायन को रोकने और ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के सृजन करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
मनरेगा कार्यक्रम, COVID-19 महामारी के कारण वर्तमान लॉकडाउन के समय में, रोजगार प्रदान करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, देश भर में सबसे बड़ी आशा का श्रोत है। केंद्र और राज्य सरकारें मनरेगा पर जोर दे रही हैं और जल्दी भुगतान, काम की मांग बढ़ाने, आदि के लिए कदम उठा रही हैं।संकट के इस समय में, वित्त मंत्री द्वारा 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का आवंटन बहुत ही आश्वस्त करने वाला है। पूरे देश में मनरेगा का काम जोरों से चल रहा है। महामारी के हालात में मनरेगा के माध्यम से रोजगार प्रदान करना, एक तात्कालिक और अल्पकालिक राहत है।
और भी सरकारी योजनाएँ जैसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर इस पहल की घोषणा करने वाली यह कंपनी देश में 17,000 से अधिक पिन कोड में फैले 9 लाख से अधिक रिटेल टचप्वाइंट के अपने नेटवर्क के माध्यम से, एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहती है, जहां जॉब गंवा चुके व्यक्ति अपना पंजीकरण करा सकें और उपयुक्त प्लेसमेंट पा सकें। इसके लिए कंपनी ने बैंकों, गैर सरकारी संगठनों, वैश्विक फाउंडेशंस और अन्य एग्रीगेटर की पहचान की है और उनके साथ भागीदारी भी की है, जहां पंजीकृत कामगारों को प्लेसमेंट दिया जा सकता है। गांव और शहर दोनों तरफ अब रोजगार के अवसर उभरेंगे बस लोगों को आगे आना होगा। फूलों की खेती खोल सकती है रास्ते एक्सपर्ट कहते हैं की ग्रामीण इलाकों में गेंदा, गुलाब, बेला, रजनीगंधा, अस्टर की खेती की जा सकती है। कम जमीन में फूलों की खेती की अधिक पैदावार और इसकी बेहतरीन कीमत आपको मालामाल बना सकती है। वेडिंग सेक्टर, कल्चरल प्रोग्राम्स, और अट्रैक्टिव स्टेज के लिए फूलों का कारोबार बड़े पैमाने ओर रास्ता खोलता दिख रहा है। खराब होते फूलों से अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने का प्लांट डालकर भी एक बड़ा अवसर बनाया जा सकता है।
होम स्टोर से होम डिलीवरी दे सकती है बड़े फायदे
कैरियर व बिजनेस एक्पर्ट बताते हैं की इस लॉकडाउन के बाद एक बड़ी बात जो सामने आएगी वो ये की बाहर के खानपान से लोगों का परहेज अभी काफी समय तक रहने वाला है। ऐसे में सामानों की होम डिलीवरी एक अच्छा रास्ता बन सकता है। इसके लिए कहीं दुकान आदि भी जरूरत नहीं है आप एक होंम स्टोर बनाकर वहां से ऑनलाइन इस काम को आसानी से कर सकते हैं।


हर्बल मेडिसिन से जुड़ी खेती होगी फायदेमंद
एक्सपर्ट बताते हैं की आने वाले दिनों में सबकी चिंता अगर सबसे ज्यादा कहीं है तो इम्युनिटी सिस्टम मजबूत करने की है। ऐसे में आंवला, गन्ना, बेल, तुलसी, हल्दी, अदरक की खेती बड़ा लाभ दे सकती है। अचार जेली जैम जैसे कारोबार के फायदे ही फायदे यूपी बिहार में आम लीची की खेती ओल आदि की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इनसे बाइप्रोडक्ट तैयार किया जा सकता है। आम लीची का का अच्छे किस्म का अचार मार्केट में नंदा फायदा दिला सकता है ऐसे ही जैम,जेली आदि से बड़े लाभ की संभावना है।
फिश और पोल्ट्री फॉर्म भी सही विकल्प
एक्सपर्ट की मानें तो आने वाले समय में फिश और पोल्ट्री फॉर्म कर कारोबार अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए बाजर में इसकी मांग बढ़ेगी और काम गति पकड़ेगा।  खिलौनों का बाजार होगा अच्छा बताते हैं की खिलौना बनाने का काम भी एक अच्छा रास्ता बना सकता है। थोड़ी सी लागत और मेहनत से इस काम में सफलता के आसार दिख रहे है। टेक्निकल्स के लिए उभरे रास्ते अब जब लोग पढ़ाई से लेकर दवाई तक ऑनलाईन की ओर निर्भर होते दिख रहे हैं ऐसे में आने वाला समय टेक्निकल्स के लिए बड़ी उम्मीद बन रहा है। इसमें भी मेहनत कर रोजगार के विकल्प बनाये जा सकते हैं।फिर राजीव गांधी रोज़गार योजना ऐसी कई योजनाओं सरकार जनता के लिए रोज़गार के दरवाज़े खोल राहत देने का काम कर रही है आशा ही रख धैर्य से विकल्प खोजें पुरानी गई नौकरी को पाने की कोशिश करना चाहिए हो सकता है आप का काम बन जाए


डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई



 


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