जब जब भी देखती हूँ , कलियां खिलते मुस्करातें !
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आयें !!
रात के अंधेरे में ,आंसमां चाँद सितारों के संग झिलमिलाएँ !
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
बारिस की रिमझिम फुहारे
जब जब चेहरा भिगोती है !!
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
जब कोई नशीली धुन बजती है कानों को मदहोश करती है !
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
जब जब फूलों से भँवरा मोहब्बत
की बात करता है ! गुनगुनाता हैं!
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
सागर की लहरें जब जब उछल उछल कर किनारों को चूमती है !!
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
करता है जब चाँद चाँदनी से मुलाक़ात पूनम की रात !
तुम्हारी क़सम तुम बहुत याद आये !!
डॉ
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अलका पाडेंय (अगनिशिखा मंच)
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर १
कोपरखैराने नवि मुम्बई च४००७०९
मो.न.९९२०८९९२१४
ई मेल alkapandey74@gmail.com
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