वास्तविक सोच-प्रवीण

  मेरे बेटे रोहन ने एक स्व निर्मित चित्र मेरे सामने लाकर रख दिया ।इस चित्र में उसने अपनी मां को आठ हाथों के साथ दिखाया है...पहले हाथ में किताब,दूसरे हाथ में बर्तन ,तीसरे हाथ में छोटा बच्चा (शायद रोहन खुद को दिखाना चाहता हो),चौथे हाथ में छोटी बहन,पांचवें हाथ में  पापा, छठे हाथ में घर ,सातवें हाथ में ऑफिस,और आठवें हाथ में घड़ी...उसे देखते ही सुबह का वाक्या मेरी आँखों के सम्मुख छा गया।
जब बेटे रोहन ने आज दुर्गा नवमी पर पूजा के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमा देखकर मुझसे पूछा "पापा हम सभी के दो- दो हाथ, पर माता दुर्गा के आठ हाथ,ये तो झूठ है ...ऐसा नहीं हो सकता है ना! ,पापा"। मैं उसकी बात सुनकर स्तब्ध रह गया था और बोला कि... "बेटा आप देखो, मां दुर्गा ने अपने सारे हाथों में अलग-अलग चीजें धारण कर रखी है। इन सारी चीजों में, मां दुर्गा पारंगत हैं"। 
" क्या हुआ पापा? "बेटे ने आवाज दी तो मेरी तन्द्रा भंग हुई मैंने उसे  गले से लगा लिया और पत्नी की ओर प्रेम से देखकर मुस्करा भर दिया. 


प्रवीण राही
संपर्क सूत्र 8860213526



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