हम आजादी के मतवाले
पैरों में ना बेड़ियां डाले
चाहे कोई भी हो तूफान
या, आ जाए आंधियों के थपेड़े
हम कहां रुकने वाले
हम आजादी के मतवाले
समुंदर की लहरों की तरह
हर फौजी का
खून भी उछाल मारे
सर पर कफ़न बांध
हम अपने घरों से निकल चले
हम आजादी के मतवाले
घात लगाए बैठा है वह
सरहद के उस पार
हम भी कहा झुकने वाले
हम आजादी के मतवाले
कंचन जायसवाल
नागपुर,महाराष्ट्र
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