भगत सिंह जैसे वीर लाल आजादी के मतवाले थे,
हृदय में भारत की स्वतंत्रता का स्वप्न अनोखा पाले थे,
इनकी हुंकार से अंग्रेजी सरकार भी घबराई थी,
अपना जीवन सारा किये भारत माँ के हवाले थे।
जनम हुआ भगतसिंह का अट्ठाईस सितंबर में,
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ भर गयीं धरा और अंबर में।
अपने शोणित से सींचा है इन्होंने भारत चमन,
इनके बलिदान की गाथा गूँजती है घर-घर में।
प्रभावित थे ये लाला लाजपतराय जी विचारों से,
स्वतंत्रता प्राप्त हुई इनके क्रांतिकारी उद्गारों से,
मातृभूमि की रक्षा हेतु तन-मन न्यौछावर किया,
देशभक्ति का जज़्बा बढ़ता विजयघोष के नारों से।
भगतसिंह विचारों से थे उग्र क्रांतिकारी,
स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण थी भागीदारी,
तेईस मार्च उन्नीस सौ इकत्तीस को शहीद हो गए,
भारत माँ की रक्षा में लुटा दी जवानी सारी।
हे भारत के वीर सपूत शत शत तुम्हारा वंदन है,
तुम्हारे त्याग समर्पण का हार्दिक अभिनंदन है,
शब्दों की परिधि में तुम्हारे बलिदान को कैसे बाँधे,
हृदय तुम्हारा देशभक्त है, देह तुम्हारी चंदन है।
गौरवान्वित है देश इस वीर की शहादत पर,
शब्द हुए निःशब्द आज देशप्रेमी की चाहत पर,
शब्दों के माध्यम से हम आज इनका स्मरण करते हैं,
गर्व अनुभव करते हैं इनके व्यक्तित्व वजाहत पर।
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
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