अपना आधार - निरुपमा त्रिवेदी

देश में चल पड़ी थी अजब क्रांति,


 देशवासी चाहते थे भारत माता के मुख पर कांति,


 देव दूत बन प्रकटा  सत्य का एक पुजारी ,


दृढ संकल्पित मन पहनता था वो खादी,


 क्षमा, शांति, सत्य को बना अपना आधार,


 संग  बुद्ध सम लेकर चला शुद्ध विचार ,


अहिंसा का वह पुजारी हाथ में सदा रहती थी जिसके लाठी,


  विचारों में लेकर क्रांति दिलाने चला हमें आजादी,


 सत्य प्रेम का फूंका ऐसा अभिनव मंत्र,


 दंग रह गया देखकर जिसे फिरंगी तंत्र ,


निज सुख त्याग सर्वस्व किया समर्पण,


 आव्हान पर जिसके जन-जन ने किया


अपने प्राणों का अर्पण, कठिन श्रम साधना और थी सादगी ,


चला के चरखा दे दिया मंत्र स्वदेशी ,


सर्वधर्म पर रखा सदा समभाव ,


रास नहीं आता था जिनहें कोई भेदभाव,


 नवीन शिक्षा नीति में भी झलकती है गांधी की विचारनीति ,


प्रेरणा पुंज है आज भी उनकी स्वदेशी प्रीति।


निरुपमा त्रिवेदी,इंदौर




 


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