बालिका सशक्तिकरण- डॉ अनुराधा कुमारी 

*अन्‍तराष्‍ट्रीय बेटी दिवस पर विशेष
**बेटी को चांद जैसा मत बनाओ की हर कोई घूर घूर कर देखें  किंतु , बेटी को सूरज जैसा बनाओ ताकि घूरने से पहले सबकी नजर झुक जाए** बालिका सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जाए तो यह कहा जा सकता है इससे बालिकाएं शक्ति संपन्न बनती हैं। जिससे वह अपने से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना बालिका सशक्तिकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वह समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपट सकती है।
विकास की मुख्यधारा में लड़कियों को लाने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं लाई गई हैं ।किसी भी समाज के विकास का सीधा संबंध उस समाज की महिलाओं और लड़कियों के विकास से जुड़ा होता है। महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति,परिवार और समाज के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है बालिकाओं के विकास के लिए सरकार ने कई योजनाएं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना ,सुकन्या समृद्धि योजना और कस्तूरबा गांधी बालिका योजना आदि की शुरुआत की।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 22 जनवरी 2015 को पानीपत हरियाणा में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस कार्यक्रम का समग्र लक्ष्य लिंग के आधार पर लड़का और लड़की में होने वाले भेदभाव को रोकने के साथ-साथ प्रत्येक बालिका की सुरक्षा ,शिक्षा और समाज में स्वीकृति सुनिश्चित करता है।
इस अभियान ने उन क्षेत्रों में लिंगानुपात में काफी कमी लाई है जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या बेहद कम थी। इस योजना का उद्देश्य ही है समाज में लड़कियों को लेकर भेदभाव का उन्मूलन हो और बालिकाओं के कल्याण से जुड़ी सेवाओं पर जागरूकता बढ़े वैसे लड़कियां जिनकी पढ़ाई किसी भी कारण से छूट जाती है उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित करना इस योजना का लक्ष्य रहा है।
बेटियों के भविष्य के लिए कन्या समृद्धि योजना इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार ने 22 जनवरी 2015 को की सुकन्या समृद्धि योजना के तहत देश में 126 करोड़ से अधिक बैंक खाता खुल चुके हैं जिनमें 19000 करोड़ से अधिक रकम जमा हुई है बेटियों के भविष्य के लिए पैसा जोड़ने को यह एक बेहतरीन योजना है इस योजना में पीपीएफ की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है। बालिकाओं को सशक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने बहुत सारी योजनाएं बनाई हैं साथ-ही-साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी कानून बनाए हैं। महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कड़े से कड़े  कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने महिला सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों को सख्त करने का काम किया है। सरकार ने मासूमों पर होने जघन्य अपराध से जुड़े 2012 के POCSO ACT (Protection Of Children From Sexual Offences Act) में बदलाव कर बच्चियों से रेप के दोषियों के लिए फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है। नए प्रावधानों के अनुसार 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से रेप 10 साल की जगह न्यूनतम 20 साल तक की होगी।
      इन सब के अलावे माता-पिता की भी जिम्मेवारी है कि वे अपनी बेटियों को आत्मरक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करें और प्रशिक्षण दिलवाए ।बेटियों को निर्भीक एवं सशक्त वन अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करें। बेटियों को खुद इतना सशक्त होना होगा कि कोई भी असामाजिक तत्व उनके साथ अप्रिय घटना को अंजाम देने की हिम्मत ना कर पाए। यही समय की मांग है आत्मरक्षा के सीखे गए गुर जीवन भर काम आते हैं। इसकी मांग बस शैक्षणिक काल तक ही सीमित नहीं है ।लड़कियों को सशक्त होकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि वे अपने माता-पिता का नाम रौशन कर सकें। वे खुद को कमजोर ना समझे बल्कि डटकर सामना करें।


 


डॉ अनुराधा कुमारी
सहायक शिक्षिका ,प्राथमिक विद्यालय कारोवीर ,भदौरा ,गाज़ीपुर



 


 



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