बलात्कारियों को तुरंत दंडित किया जाना चाहिए या -निशा

सरकारी अस्पताल के कोविड वार्ड में कोरोना पॉजिटिव महिला से रेप की कोशिश (अलीगढ़ गाजियाबाद जिला UP) जुलाई कोरोना पीड़ित महिला के साथ एंबुलेंस में दुष्कर्म (पथानामथिट्टा,जिला केरल) सिंतबर छत्तीसगढ़ के गौरेला- पेंड्रा-मरवाही में कोरोनोवायरस उपचार प्रदान करने के बहाने 7 वर्षीय एक लड़की का कथित रूप से दो नाबालिग लड़कों ने बलात्कार किया था। (जुलाई)कासगंज: गैंगरेप पीड़ित और उसकी मां की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या (जुलाई)ऐसे ही और भी आपराधिक मामले हैं ये तो सिर्फ उजागर हुये बलात्कार के प्रकरण हैं और जो नही सामने आए... और ये सोच कर ज्यादा खून खोलता है के अभी जब हम यह चर्चा कर रहे हैं इस वक्त भी कही कोई महिला या बच्ची प्रताड़ित हो रही होगी। जिन मामलों में यह ज्ञात हो जाता है के अपराधी कौन है तो ऐसे मामले न्यायालय में ज्यादा समय चलने ही नही चाहिए त्वरित फैसला कर केवल फाँसी ही एक मात्र सज़ा होनी चाहिए। 


कभी "निर्भय" कभी "प्रियंका" आज "मनीषा" सिर्फ नाम ही बदला है नज़र, नियत और हालात आज भी वैसे ही है।आज भी असहाय सा लगता है एक औरत होना। चाहे कही की भी हो कैसी भी हो कोई भी हो। पर क्या कुछ बदलता है?ज्यादातर तो अपने आस पास की महिला द्वारा ही प्रताड़ित होती हैं चाहे माँ हो सास हो भाभी हो ननंद हो बस रिश्तों के नाम बदल जाते हैं। और जो इनसे बच जाता है वो कसर समाज का पुरूष वर्ग पूरा करता है भाई, पिता, ससुर, पति, देवर और इनसे गर बच गए तो परिचित ,पड़ोसी, कोवरकर और इनसे जैसे तैसे बचे तो गली मोहल्ले और सड़क में चलने वाले मनचले सभी का इरादा एक ही लगता है बस तरीका और नाम बदल जाते हैं।


मैं ऐसे समाज ऐसे लोग और ऐसी ढ़ीली लेट-लतीफ कानून व्यवस्था की घोर निंदा करती हूं। हमें कानून व्यवस्था में बड़े सुधार की आवश्यकता है और समाज में भी बदलाव जरूरी है।मेरा हाथ जोड़ कर सभी से निवेदन है लड़कियों को कुछ सीखने समझने के बजाए घर मे लड़को को सम्मान करना सिखाएं ,उनकी मानसिकता को बदलें, इज्ज़त कपड़ो में नही नज़रों में होना समझाएं तभी समाज बदल पायेगा।


          निशा "मन्मयी"
             भिलाई




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