मानव शरीर में विभिन्न संवेगों का समावेश रहता है, जिसमें से क्रोध भी एक संवेग है। क्रोध अन्य संवेगों की अपेक्षा मनुष्य को बहुत नुकसान पहुँचाता है।क्रोधातिरेक में अक्सर अनिष्ट हो जाया करता है।यह शरीर के अंदर रहते हुए ही उसे नुकसान पहुँचाता रहता है।क्रोध व तनाव की स्थिति में मानव चिड़चिड़ा होता जाता है।कोई भी कार्य वह सही ढंग से नहीं कर पाता,क्योंकि क्रोध व तनाव दोनों स्थितिया,मानव की विवेक शक्ति को क्षीण कर देती हैं।वह उचित-अनुचित में अंतर नहीं कर पाता।परिणामस्वरूप उचित स्थिति आते-आते बुरे परिणाम घटित हो चुके होते हैं।
इस भौतिकता वादी युग में क्रोध व तनाव का साम्राज्य छाया हुआ है।लोगों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी हुई है।परिणामस्वरूप चिड़चिड़े पन को जगह मिलती है।यही चिड़चिड़ा पन तनाव को और तनाव की स्थिति क्रोध को जन्म देती है, जो हमारे स्वास्थ्य को पूर्णतया प्रभावित करती है। धीरे-धीरे क्रोध व तनाव इस तरह से हावी हो जाते हैं कि हम छोटी-छोटी बातों पर भी क्रोधित होने लगते हैं।फलस्वरूप स्वभाव में चिड़चिड़ापन अपना घर बना लेता है।हम सदैव तनाव ग्रस्त होकर कुंठा के शिकार हो जाते हैं ,जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देती है-जैसे-
- हमें गहरी नींद नहीं आती।
-भूख खुलकर नहीं लगती ।
- सिर में भारीपन रहता है ।
-चिड़चिड़ापन आ जाता है।
- किसी काम में मन नहीं लगता।
-शरीर थका-थका सा रहता है।
- पाचनतंत्र प्रभावित होता है ।
-आभामंडल क्षीण हो जाता है।
-सदैव क्रोध व तनाव की स्थिति हमारी भाव-भंगिमा विकृति कर देती है।
-मुस्कुराहट से दूर-दूर तक का रिश्ता समाप्त हो जाता है।
-सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
-निर्णय व स्मृति शक्ति का ह्रास होता है।
- शारीरक लालिमा, पीलेपन में परिवर्तित हो जाती है।
- शब्द चयन में बिखराव की स्थिति आ जाती है।
- क्रोध, मूढ़ता को जन्म देती है।
अर्थात् क्रोध व तनाव हमारे स्वास्थ्य पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।ये धीरे-धीरे शारीरिक स्वास्थ्य को उसी तरह चट करते जाते हैं। जैसे-दीमक, लकड़ी व कागज को चट कर जाती है।क्रोध व तनाव से मुक्ति--
इससे मुक्ति पाने के लिए हमें संतोष की आवश्यकता होती है।संतोष तभी प्राप्त होता है, जब हम लोभ, मोह पर अंकुश लगाकर तनाव से कुछ हद तक छुटकारा पा सकते हैं और यदि तनाव दूर हो गया, तो समझो संतोष का आगमन सुनिश्चित है।संतोषी प्रवृत्ति क्रोध का नाश करने में सक्षम है। साथ ही योग करें। योग क्रोध व तनाव दोनों प्रवृत्तियों का दमन करने में सक्षम हैं।
लेखिका- मीरा द्विवेदी "वर्षा"
हरदोई, उत्तर प्रदेश।
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